भोपाल। साईंबाबा नगर टंकी हादसे में पूरी तरह से फंस चुके नगरनिगम अधिकारियों ने सबकुछ मैनेज कर लिया है। बस मजिस्ट्रियल जांच चल रही है तो वो भी खत्म हो जाएगी। उसकी कोई चिंता भी नहीं है। प्रॉबलम तो पॉलिटिकल प्रेशर से थी, जो खत्म हो गया है।
ये बयान नगरनिगम के उस कद्दावर अधिकारी के हैं जो साईंबाबा नगर टंकी हादसे में निगम के अधिकारियों को बचाने के लिए पहली पंक्ति में काम कर रहा है।
गौरतलब है कि 18-19 नवंबर की मध्यरात्रि को सार्इंबाबा नगर में पानी की टंकी ढहने से आठ लोगों की मौत हो गई थी। कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने इस हादसे की मजिस्ट्रियल जांच की जिम्मेदारी 22 नवंबर को अपर कलेक्टर बसंत कुर्रे को सौंपी थी। जो अभी भी सरकारी स्पीड से चल रही है।
इस घटना के तत्काल बाद कांग्रेस ने निगम के खिलाफ मोर्चा खोल डाला था। युवक कांग्रेस तो कूद कूदकर गिरफ्तारियां दे रही थी, लेकिन जब जांच शुरू हुई तो सबकुछ शांत हो गया। एक भी नेता न तो खुद बयान दर्ज कराने पहुंचा और न ही पीड़ितों को लेकर गया। इतना ही नहीं, अब वो जांच तेज करने और दोषियों को सजा देने की मांग भी नहीं कर रहे हैं।
गौरतलब होगा कि, पूर्व विधायक पीसी शर्मा, नासिर इस्लाम और मोनू सक्सेना ने टंकी हादसे के दोषियों को गिरμतार करके जेल भेजने और मृतकों के परिवार को 10 लाख रुपए एवं अनुकंपा नियुक्ति मिलने तक आंदोलन की घोषणा की थी। युवक कांग्रेस लोकसभा इकाई अध्यक्ष मनोज शुक्ला ने तो पुतला तक फूंक डाला था और कार्रवाई नहीं होने पर उग्र आंदोलन का अल्टीमेटम दे डाला था।
अब केवल एक सवाल: क्या साईंनगर टंकी हादसा मामले में उग्र आंदोलन करने वाले कांग्रेसी नेता सेट हो गए हैं।
लीजिए एक बार फिर देखिए साईंनगर टंकी हादसा कितनी भयावह थी तो रात