भोपाल। एक दिन हम भी संविदा शिक्षक बनेंगे, इस उम्मीद से लगातार स्कूलों में संविदा शिक्षक से भी कम पगार पर काम रहे अतिथि शिक्षक इन दिनों मुख्यमंत्री की ओर ठीक वैसी ही मासूम निगाहों से देख रहे हैं जैसे कोई बालक अपनी मॉ की ओर ताकता है। मामला संविदा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बोनस अंकों की घोषणा का है।
वो निरीह हैं, कतार में हैं, आखों में उम्मीद लिए कड़ी तपस्या कर रहे हैं। उनकी कोई यूनियन नहीं है, वो आंदोलन का विचार भी नहीं कर रहे हैं, दया के पात्र हैं और करुणा भरी निगाहों से हर रोज अखबारों में केवल एक ही खबर तलाश रहे हैं कि कब सरकार संविदा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अतिथि शिक्षकों के बोनस अंकों की घोषणा करेगी।
वो संगठित नहीं है, इसलिए आवाज नहीं उठा सकते, वो संगठित नहीं है इसलिए विधानसभा में भी शायद ही कोई उनकी बात रखने का प्रयास करे। मात्र 10 महीने की अस्थाई नौकरी के लिए भी सरकार का आभार जता रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं उनकी चिंता करते हुए बोनस अंकों की घोषणा की थी। अब वो इस उम्मीद से रोज अखबार देखते हैं कि शायद सीएम को अपनी घोषणा याद आ जाए और बोनस अंकों के आदेश जारी कर दें। नहीं भी करेंगे तो कुछ नहीं होगा। न शिवराज के पुतले जलेंगे और न ही सड़कों पर विचार होगा, लेकिन यदि आदेश जारी हो गए तो मुख्यमंत्री महोदय को दुआएं जरूर मिलेंगी, लाखों लाख दुआएं, जिनके लिए वो कन्यादान से लेकर तीर्थ दर्शन तक तमाम योजनाएं चला रहे हैं। देखते हैं सीएम तक यह आवाज पहुंच पाती है या...।