मोदी के मुकाबिल हो गए शिवराज

shailendra gupta
नई दिल्ली। भले ही पीएम पोस्ट शिवराज सिंह चौहान का टारगेट नहीं है, परंतु मोदी की तुलना में बराबर खड़े हो जाने की मंशा टीम शिवराज में जबर्दस्त थी और इसके लिए पिछले दो सालों से लगातार केम्पेन चल रहा था। अंतत: आरएसएस ने सर्टिफाइड कर ही दिया कि पूरे भारत में उसके दो ही लाड़ले मुख्यमंत्री हैं एक नरेन्द्र मोदी तो दूसरे शिवराज सिंह चौहान।

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने के लिए उठे मजबूत स्वरों को नजरअंदाज करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने अपना इरादा जाहिर किया कि संघ परिवार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी उतनी ही तरजीह देता है।


संघ की यह मंशा उसके मुखपत्र 'पांचजञ्य' में सामने आई है जिसमें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक को दिलचस्प अंदाज में प्रस्तुत किया गया है। 'सुनी धमक, दिखी चमक' शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट में संघ के अखबार ने अपने कथ्य से लेकर चित्र तक में यह साफ किया है संघ परिवार मोदी का कद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बड़ा या छोटा नहीं मानता।

रिपोर्ट में संघ के मुखपत्र ने लिखा कि बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान खासे आकर्षण का केंद्र रहे। दोनों ने ही अपने भाषणों में अपने-अपने प्रदेशों में विकास के नए-नए प्रतिमानों और उपलब्धियों की विस्तार से चर्चा की।

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद में मोदी को पार्टी अध्यक्ष ने विशेष रूप से सम्मानित किया था और उन्हें विशेष माला पहनाकर राष्ट्रीय परिषद को उनके सम्मान में खड़ा भी किया गया था।

इस बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि नरेंद्र मोदी विकास की लहर पर सवार होकर तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं इसके लिए पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें खासतौर पर सम्मानित किया।

दिल्ली में बिजली की किल्लत की तुलना करते समय रिपोर्ट में गुजरात में बिना दर बढ़ाए 24 घंटे बिजली आपूर्ति का जिक्र किया गया लेकिन साथ ही यह भी गिनाया गया कि मध्यप्रदेश के सभी गांव बिजली से जगमगाने वाले हैं।

हैरानी की बात यह है कि संघ के अखबार की पूरी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह का कोई जिक्र ही नहीं है, जो 10 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज हैं और अपनी छवि के बल पर खामोशी से लोकप्रियता हासिल करते रहे हैं। (वार्ता)

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