सरकार के पास पैसा था, लेकिन उसने सड़कें बनवाई ही नहीं: भूरिया का आरोप

shailendra gupta
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने आरोप लगाया है कि शिवराज सरकार के पास पर्याप्त पैसा था, उनकी 58 प्रतिशत राशि लैप्स हो गई है लेकिन उन्होंने सड़कें बनवाई ही नहीं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद कांतिलाल भूरिया ने मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार को सालाना बजट के उपयोग के मुद्दे पर आज कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि प्रदेश के विकास का काफी दारोमदार राज्य के सालाना बजट में स्वीकृत बजट के पूर्ण उपयोग पर रहता है। इस सच के रहते म.प्र. सरकार के प्रमुख विकास विभाग अपने सालाना बजट के बड़े हिस्से को वित्तीय वर्ष के अंत में लैप्स कर रहे हैं।

यह सिलसिला लगातार कई वर्षां से चल रहा है और सरकार को इस ‘‘आपाराधिक निकम्मेपन’’ पर जरा भी शर्म और खेद नहीं है। विभागों के बजट का बड़ा हिस्सा लैप्स करके राज्य सरकार प्रदेष का कौन सा विकास कर रही है, यह समझ के परे हैं। यह बात मुख्य मंत्री के गले कब उतरेगी कि नाटक-नौटंकी, लच्छेदार भाषणबाजी और लोक लुभावनी घोषणाओं से प्रदेश का विकास संभव नहीं है।

आपने कहा है कि पर्याप्त सड़कें न होने के कारण प्रदेश का विकास गति नहीं पकड़ रहा है। इसी कारण निवेशक भी यहां अपनी पूंजी लगाने से बिचकते हैं। इसके बावजूद भी चालू वित्तीय वर्ष 2012-13 में सड़क और पुल-पुलिया मद में स्वीकृत 2406 करोड़ के बजट में से करीब 1417 करोड़ रूपये मार्च के द्वितीय सप्ताह तक खर्च नहीं हो पाये थे। इसका अर्थ यह हुआ कि लोक निर्माण विभाग ने इस साल अब तक करीब 42 प्रतिशत धनराशि ही खर्च की है।

श्री भूरिया ने कहा है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा बजट के उपयोग में बरती गई यह अक्षम्य लापरवाही तो एक उदाहरण मात्र है। विकास के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विभागों का भी कमोबेष यही हाल है। आदिवासियों और दलितों के उत्थान के लिए उत्तरदायी आदिमजाति एवं अनुसूचित कल्याण विभाग भी बजट के उपयोग के मामले में हर साल पिछड़ता रहता है। आदिवासी उपयोजना के अंतर्गत सड़कों और पुल-पुलियों के निर्माण पर 541 करोड़ रूपये खर्च करना था, किंतु मार्च के दूसरे सप्ताह तक केवल    196 करोड़ ही खर्च हुए हैं। इसी प्रकार अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत 292 करोड़ रूपये की धनराषि इन कार्यों के लिए मिली थी, लेकिन विभाग ने अब तक मात्र 88 करोड़ ही खर्च किये हैं। शर्मनाक बात तो यह है कि आदिवासी क्षेत्रों का बजट वर्ष 2008-09 से लगातार लैप्स हो रहा है।

सांसद ने आगे कहा है कि वित्तीय वर्ष 2012-13 की समाप्ति के लिए अब केवल 16 दिन शेष हैं। ऐसी दषा में किसी भी सूरत में यह संभव नहीं होगा कि सड़क, पुल-पुलिया मद की लैप्स होने वाली धनराषि के बड़े हिस्से का उपयोग संभव हो सके। अकेले सामान्य क्षेत्रों में सरकार अब तक 698 करोड़ रूपये सड़कों और पुल-पुलियों के निर्माण हेतु उपयोग नहीं कर सकी है। आपने कहा है कि चालू वित्तीय वर्ष के बजट में इन क्षेत्रों के लिए 1628 करोड़ की धनराषि मिली थी, जिसमें से लोक निर्माण विभाग   930 करोड़ का ही इस्तेमाल कर पाया है। सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार ने अपने निकम्मेपन के कारण प्रदेष की जनता को सैकड़ों सड़कों और पुल-पुलियों से वंचित कर दिया है। क्या ‘‘स्वर्णिम मध्यप्रदेष‘’ बनाने की बात करने वाले मुख्य मंत्री इस बारे में प्रदेष की जनता को कोई कैफियत देने का साहस दिखाएंगे ?

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