भोपाल (उपदेश अवस्थी)। मध्यप्रदेश के बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा कराने वाली शिवराज सरकार मध्यप्रदेश के पेंशनर्स के बुढ़ापा भत्ता पर चुपके से हाथ साफ कर रही है, जबकि पंजाब में बुजुर्गों को सम्मान के साथ बेहतर बुढ़ापा भत्ता दिया जा रहा है।
हम बहुत ज्यादा रामकहानी सुनाने के बजाए सीधे मुद्दे की बात करते हैं
मध्यप्रदेश में पुरुष की औसत आयु है 65 वर्ष और पेंशनभोगियों को बुढ़ापा भत्ता मिलता है
- 80 साल की आयु पूरी होने पर 20 प्रतिशत
- 100 साल की आयु पूरी होने पर 100 प्रतिशत
सवाल सिर्फ इतना सा है कि जब मध्यप्रदेश में पुरुष की औसत आयु ही 65 वर्ष है तो बुढ़ापा भत्ता 80 के बाद क्यों, 50 के बाद क्यों नहीं।
जबकि पंजाब राज्य में पुरुष की औसत आयु है 75 वर्ष एवं सरकार द्वारा प्रदत्त बुढ़ापा भत्ता
- 65 वर्ष की आयु से 70 तक 5 प्रतिशत,
- 70 से 75 तक 10 प्रतिशत,
- 75 से 80 वर्ष की उम्र तक 15 प्रतिशत
- तथा 80 से 85 वर्ष की उम्र तक 25 प्रतिशत
तो देखा आपने कितनी सफाई से मध्यप्रदेश सरकार अपने ही राज्य के उन बुजुर्गों की जेब काट रही है जिन्होंने जीवन भर मध्यप्रदेश सरकार की सेवा की।
सरकार जानती है कि 80 की उम्र आते आते तक 80 प्रतिशत पेंशनर्स स्वर्गवासी हो जाते हैं, और 100 की उम्र पार करने वालों की संख्या तो 2 प्रतिशत भी नहीं है। अत: खर्चा कम, योजना में दम।
इधर पंजाब सरकार किसी भी प्रकार की चीटिंग नहीं कर रही है। उसे मालूम है कि औसत आयु 75 वर्ष है तो बुढ़ापा 65 वर्ष में ही माना जाना चाहिए। उन्होंने बुढ़ापे को चार वर्गों में विभाजित किया और इसी अनुसार भत्ते का लाभ दिया।
इसे कहते हैं बुजुर्गों का सम्मान।