भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा से कांग्रेस की फिक्सिंग कई बार चर्चाओं में आ चुकी है। आज मध्यप्रदेश में लड़कियों की तस्करी मुद्दे पर हुआ वॉकआउट इस संदेह को पुख्ता कर जाता है। लगभग 30 हजार गुमशुदा मामलों के बदले केवल 5 हजार मामलों में बिफलता इतना बड़ा मुद्दा नहीं है और 5 हजार भी तस्करी के नहीं, गुमशुदगी के मामले हैं। दाल में कुछ काला नजर आ रहा है।
मध्यप्रदेश की विधानसभा में आज कांग्रेस ने लड़कियों की तस्करी के मामले को लेकर वॉकआउट किया। सवाल गुमशुदगी को लेकर पूछा गया। सभी जानते हैं कि यदि लड़कियां प्रेम के वशीभूत अपने प्रेमी के साथ कहीं चली जातीं हैं तो भी उन्हें गुमशुदा ही कहा जाता है।
पिछले 9 सालों में मध्यप्रदेश में मानव तस्करी के मामलों को लेकर ऐसा कोई बड़ा खुलासा नहीं हुआ है जो मध्यप्रदेश में सक्रिय किसी गिरोह या गिरोहों की ओर ध्यान दिलाता हो। गुमशुदगी और तस्करी में पर्याप्त अंतर है परंतु कांग्रेस ने गुमशुदगी को तस्करी से संबद्ध करने का प्रयास किया और बजाए अपनी ओर से कोई प्रमाण प्रस्तुत करने के वॉकआउट कर दिया।
प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने यह मामला उठाया था। गृह मंत्री ने अपने जवाब में स्वीकार किया कि नाबालिग लड़कियों की गुमशुदगी के दर्ज 29,928 मामलों में से 4,990 का अब तक पता नहीं चल सका है। रावत ने इसे सरकार के बेटी बचाओ अभियान की असफलता करार दिया।
चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी, कल्पना परूलेकर, आरिफ अकील, प्रदीप जायसवाल आदि ने भी उनका साथ दिया। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भी अपने दल के विधायकों की बात का समर्थन करते हुए वॉक आउट की घोषणा कर दी।
विधानसभा में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का अनुपस्थित रहना एवं बहस के दौरान कांग्रेस की ओर से कोई प्रमाण प्रस्तुत न करते हुए केवल नाराजगी जाहिर करते हुए वॉकआउट करना इस संदेह को बल दे रहा है कि यह वॉकआउट फिक्स था। आज विधानसभा में कांग्रेस के बजाए, भाजपा विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दे कहीं ज्यादा जनहितकारी थे।