साधिकार समिति ने सीएम को फारवर्ड की जोशी दंपत्ति की संपत्ति राजसात की फाइल

shailendra gupta
भोपाल। जैसी की उम्मीद थी अरविंद टीनू जोशी मामले में साधिकार समिति ने लोकायुक्त की मांग पर सील लगा दी है। बिना कुछ कटशार्ट किए मामला सीधे सीएम के पास फारवर्ड कर दिया गया है। अब सीएम को साइन करना शेष है।

मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि अपर मुख्य सचिव आभा अस्थाना की अध्यक्षता में प्रशासन अकादमी में हुई समिति की बैठक में जोशी दंपती की संपत्ति राजसात करने का प्रस्ताव रखा गया। लोकायुक्त ने राज्य शासन को पत्र लिखकर करीब 22 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति राजसात करने की अनुमति मांगी थी।

इसमें करीब तीन सौ एकड़ जमीन, भोपाल के चार मकान और दिल्ली का एक मकान शामिल है। लोकायुक्त ने दोनों अफसरों की अघोषित संपत्ति व आय 49 करोड़ रुपए आंकी है। लोकायुक्त के एक वरिष्ठ अफसर का कहना है कि जोशी दंपती ने करीब 27 करोड़ रुपए बच्चों की पढ़ाई और शराब ठेके में खर्च की है। इस राशि को सरकार के खजाने में लाना फिलहाल संभव नहीं है।

एक हजार पेज में दर्ज हुए बयान

सूत्रों ने बताया कि दोनों अफसरों के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा चलाने की अनुमति और उन्हें बर्खास्त करने की सिफारिश केंद्र सरकार के पास शुक्रवार को पहुंच गई है। दोनों अफसरों को बर्खास्त करने से पहले लिए गए बयान एक हजार पेज में दर्ज किए गए हैं, जिसमें उन्होंने लोकायुक्त द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल भी उठाए हैं।

मूल्यांकन 40 करोड़

जोशी दंपति की बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पास बेशकीमती जमीन, भोपाल में अवधपुरी में तीन फ्लैट, बाग सेवनिया में एक एचआईजी मकान, दिल्ली की द्वारिका कालोनी में एक मकान है। सीहोर, रायसेन और होशंगाबाद जिलों में भी संपत्ति है। लोकायुक्तने उनकी जमीन, भोपाल और दिल्ली स्थित पांच मकानों की कीमत का मूल्यांकन 40 करोड़ रुपए किया है।

एक साल में होगा फैसला

मप्र विशेष न्यायालय अधिनियम 2011 के तहत संपत्ति राजसात करने के प्रकरण विशेष न्यायालय में पेश किए जाएंगे। अधिनियम के मुताबिक न्यायालय प्रकरण की सुनवाई कर छह माह में अंतरिम आदेश पारित करेगा, जबकि अंतिम फैसला एक साल में दिया जाएगा।

जोशी दंपती के पास विकल्प

न्यायालय में अभियोजन प्रस्तुत करने के बाद जोशी दंपती को अपना पक्ष रखने के लिए 30 दिन का समय मिलेगा। विशेष परिस्थिति में उन्हें 15 दिन का समय और दिया जा सकता है। यदि इस अवधि में वे अपना पक्ष नहीं रखते हैं तो माना जाएगा कि उन्हें अपने बचाव में कुछ नहीं कहना है। ऐसी स्थिति में प्राधिकृत अधिकारी निर्णय लेने को स्वतंत्र होगा।

दो अन्य प्रकरण भी

साधिकार समिति में इंदौर में पदस्थ हार्टिकल्चर के डिप्टी डायरेक्टर शिवदत्त पांडे की 3.3 करोड़ और जल संसाधन विभाग सागर में पदस्थ सहायक यंत्री पीएम तिवारी की 2 करोड़ की बेनामी संपत्ति राजसात करने के लोकायुक्तके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

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