सीलिंग एक्ट के मामले में रोहणी का स्पष्ट आदेश: तीन माह में रिपोर्ट आ जाना चाहिए

shailendra gupta
भोपाल। विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने सीलिंग एक्ट के तहत ली गई जमीन में ऐसे किसानों के मामलों में कैबिनेट कमेटी की रिपोर्ट तीन माह में पेश करने का कहा है जिन्होंने न तो मुआवजा लिया, न ही जमीन सरकार के खाते में दर्ज हुई और जिस पर किसान खेती भी कर रहे हैं।

प्रदेश में ऐसी करीब तीन हजार एकड़ जमीन है। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा कमेटी को छह महीने में रिपोर्ट देने का आग्रह करने की बात कह रहे थे। रोहाणी ने कहा कि अध्यक्ष निर्देश दे सकता है, ऐसा अधिकार संविधान में दिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आश्वासन दिया कि अध्यक्ष के निर्देश का पालन किया जाएगा।

यह मामला भाजपा विधायक मोती कश्यप, नरेंद्र त्रिपाठी और कांग्रेस सदस्य लखन घंघोरिया ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए उठाया था। सदस्यों का ध्यानाकर्षण जबलपुर नगर निगम सीमा के तहत ऐसी जमीनों के संबंध में था। कश्यप ने कहा कि 1973 में बना अर्बन सीलिंग एक्ट 2000 में समाप्त हो चुका है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के अलावा एक लाख से ज्यादा आबादी वाले नगर भी इसमें शामिल थे। मूल अधिनियम में भी किसानों की जमीन वापस करने का प्रावधान है। मंत्री करण सिंह वर्मा ने बताया कि 1976 से 2000 के बीच ली गई जमीनों का मुआवजा दिया गया है।

रोहाणी ने कहा कि ऐसे किसान हैं, जिन्होंने मुआवजा नहीं लिया, खेती कर रहे हैं और जमीन सरकारी खाते में भी दर्ज नहीं हुई है। वर्मा ने बताया कि इस मामले में मंत्रिपरिषद की समिति बनाई गई है, जिसमें बाबूलाल गौर और जयंत मलैया सदस्य हैं। रोहाणी ने कहा कि समिति की रिपोर्ट कब आएगी। मंत्री ने कहा कि छह माह में। रोहाणी ने आग्रह किया कि इसे तीन माह कर लें, जनता का कल्याण नहीं हो पाएगा। लेकिन मंत्री नहीं माने। इस पर रोहाणी ने मूल अधिनियम की धारा 34 में जिक्र है अगर अपील नहीं की गई हो तो सरकार रिकार्ड मंगाकर आदेश पारित कर सकती है। अध्यक्ष ने कश्यप से कहा कि वे समिति को दस्तावेज दे दें।

उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति उत्तरदायी है। तीन माह में कमेटी रिपोर्ट दे, नागरिकों की राय ली जाए। वर्मा ने फिर कहा कि वे समिति को अवगत करा देंगे। अध्यक्ष ने कहा कि मेरा स्पष्ट आदेश है कि तीन माह में रिपोर्ट आ जाना चाहिए। सदस्यों ने अध्यक्ष को धन्यवाद दिया। इस बीच राजस्व मंत्री वर्मा ने कहा कि तीन हजार एकड़ जमीन है,पूरे प्रदेश में करेंगे तो गड़बड़ी होगी।

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