भोपाल। सरकार clinical establishment act के जरिए निजी अस्पतालों को कंट्रोल करने की कोशिश में जुटी हुई है। यह एक्ट मरीजों को नए अधिकार और अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई के नए द्वार खोलता है। शीघ्र ही यह एक्ट लागू होने की संभावना है।
सरकार प्रायवेट अस्पतालों की मनमानी रोकने और उनपर अंकुश लगाने के लिए जल्द ही क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट लागू करने जा रही है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एक्ट को लागू करने की प्रक्रिया जारी है, हालांकि इसे लागू कराना आसान नहीं है। क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट के प्रावधानों के अनुसार नर्सिंग होम की फीस शासन द्वारा तय की जाएगी, जिससे निजी अस्पताल मरीजों से मनमाने ढंग से फीस नहीं वसूल पाएंगे।
इस एक्ट के लागू होने के बाद मरीजों के अधिकार बढ़ जाएंगे। वहीं अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर पाएंगे। इसके साथ ही इसके तहत निजी अस्पतालों को क्वालिफाइड टेक्नीशियन और पैरामेडिकल स्टाफ रखना होगा। इन नियमों के खिलाफ जाने वाले अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
झोलाछाप डॉक्टर पर होगी कार्रवाई
वतर्मान में झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए कोई बड़ा कानून नहीं है। इसका फायदा उठाकर झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। केंद्र सरकार के क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान है।
जितनी सुविधाएं उतनी ही ली जाएगी फीस
इस एक्ट के लागू होने के बाद अस्पतालों के मनमाने शुल्क पर भी लगाम भी लगेगी। एक्ट के तहत अस्पताल और डॉक्टरों की फीस का निर्धारण उसके अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाओं के आधार पर होगा। इसके साथ ही अस्पताल में कितने मरीज भर्ती किए जाएंगे, इसका निर्धारण भी अस्पताल के आकार के बाद किया जाएगा।
मुश्किल है प्रक्रिया
मध्यप्रदेश में अभी नर्सिंग होम होम्स एक्ट लागू है। इससे ही निजी अस्पतालों व लैब को नियंत्रित किया जाता है। विधानसभा से पारित होने के बाद मध्यप्रदेश का नर्सिंग होम होम एक्ट समाप्त हो जाएगा और क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट प्रभावी हो जाएगा। डॉक्टरों के मुताबिक यह एक्ट मरीजों के हित में है। इसे सख्ती से लागू करने पर मरीजों को फायदा होगा।
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