अनूपपुर(राजेश शुक्ला)। मध्यप्रदेश की सीमा अनूपपुर जिले के अंतिम छोर के ग्राम रामनगर तिराहे में बना आरटीओ चेक पोस्ट का नाका यहां के प्रभारी अधिकारियों द्वारा बाला बाला ठेके पर दे दिया गया। ठेकेदार प्रतिट्रक 10 हजार रुपए वसूली कर रहे हैं और उच्चस्तर पर बंटवारा बदस्तूर जारी है।
तीनों चेक पोस्टों पर ठेकेदार के लोग आने जाने वाले वाहनों से मनमाने ढंग से वसूली करते हैं और नहीं देने पर उनसे मारपीट पर भी उतारू हो जाते हैं। ऐसा लगता है कि इस आर०टी०ओ० चेक पोस्ट पर सरकार का नियम नही बल्कि लुटेरो का नियम चलता है। और इस चेक पोस्ट से मानों विभाग का कोई सरोकार ना हो उन्हें तो सिर्फ अपनी कमाई से मतलब रह गया है।
मध्यप्रदेश का यह जिला अंतिम जिला कहलाता है इसके बाद से छ.ग. लग जाता है। शासन ने दोनों प्रदेशों के आने जाने वाले वाहनों में कोई आपत्तिजनक सामान ना जाये और कोई वाहन बिना कर चुकाये सीमा पार ना करे इसके लिये जिले के सीमा पर चेक पोस्ट बनाये जाते हैं और इन चेक पोस्टों पर शासकीय अधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है।
जो इन सब की जानकारी रखता है और सरकार द्वारा तय कर की राशि वसूल कर उन्हें पावती देता है, परंतु जब सरकार के पास इन चेक पोस्टों पर नियुक्त करने के लिये अधिकारी कर्मचारी की कमी हो तो उन जगहों पर एक कर्मचारी भेजकर काम चलाया जा रहा है। और वही कर्मचारी अपने इस चेक पोस्ट को ठेकेदारों के हवाले कर स्वयं चैन की नींद सो रहे हैं।
यह हाल रामनगर तिराहे पर स्थित परिवहन चेक पोस्ट नाका ठेकेदारों के हवाले है और ठेकेदार के लोग वाहन के ड्राईवरों से मनमानी राशि वसूल रही है। इनकी इस करतूत से बाहर से आने वाली गाडियों के ड्राईवर खासे परेशान हैं वहीं अनूपपुर जिला छत्तीसगढ सीमा से लगा होने के कारण नक्सलियों के कारण संवेदनशील है। इस वजह से यहां से आने जाने वाले वाहनों की कड़ी जांच से गुजरना पडता है, परंतु यहां पर पदस्थ ठेकेदार के गुर्गो से सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है।
उन्हें तो सिर्फ अपने रूपये से मतलब है। उन्हें इस बात का भी इल्म नहीं है कि आने जाने वाले वाहनों में क्या लदा है। इन्हें जांच करने वाला कोई नहीं है और ना ही यहां पदस्थ कर्मचारी से भी कोई लेना देना नहीं है।
रामनगर तिराहा परिवहन चेक पोस्ट में तीन चैक पोस्ट बना रखा है और तीनों चेक पोस्टो पर ठेकेदार के लोग आने जाने वाले वाहनों से बकायदा 7300, 6600 और 8 से 10 हजार रूपये तक प्रत्येक गाडियों से लिया जाता है और बदले में ड्राईवरों को 3 से 4 हजार रूपयें की रसीद थमा दी जाती है और बांकी पैसो के नाम पर अपने वसूली के हिसाब से बने टोकन थमा दिये जाते हैं।
आखिर इस टोकन का क्या माजरा है
यह लोगो के समझ से परे है इसके बाद बची हुई राशि का आपस में बंदरबांट होता है। इस चेक पोस्ट नाके से किसी वाहन की इतनी जुर्ररत नहीं है कि इनके द्वारा मांगी गई रकम को बिना दिये नाके से निकल जाये। ऐसा किसी भी ट्रक ड्राईवर में हिम्मत नहीं अगर पैसा नहीं है तो गाडी को किनारे कर वाहन मालिक से पैसा मंगा कर वहां पर मांगी गई राशि जमा कर ही गाड़ी को आगे बढाया जाता है।
ठेकेदारों के लोग इस अवैध वसूली पर ही टिके हुये हैं। यहां पर कार्य करने वाले व्यक्ति मनीष सिंह हैं जिनका इस परिवहन चेक पोस्ट अथवा विभाग से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। इसी तरह एक अन्य व्यक्ति भी है जो पत्रकारों को देखकर कैमरे के सामने हाथ लगा लिया और कैमरे को बंद करने के लिये कहने लगा जो हमेशा यहीं पर मौजूद रहता है और आने जाने वाले वाहनों से वसूली करता दिखाई देता है। जब पत्रकारों ने वहां पर अपने कैमरे चमकाये तो यहां पदस्थ सभी लोगों के पैरों से जमीन खिसक गई और वो लोग इधर-उधर भागने लगे परंतु यहा पदस्थ वह व्यक्ति नहीं दिखा जो हकीकत में यहां के लिये पदस्थ है।
जिले की छत्तीसगढ सीमा पर बने इन चैक पोस्टों पर कभी किसी गाडी की कोई जांच नहीं की जाती है। जबकि सीमा होने के कारण यह क्षेत्र काफी संवेदनशील माना जाता है, यहां पर वसूली का तरीका भी नायाब है। पहले ड्राईवर से गाडी के कागजात मांग कर रख लिये जाते है और फिर उनसे पैसो की लेन देन की शुरूआत होती है । इस पर उनके द्वारा जो रसीद दी जाती है वह परिवहन कानून के अण्डर सेक्शन २०० के तहत की है जब किसी गाडी के कागजात के अनुसार गाडी में कोई तकनीकी कमी होने पर जैसे प्रेसर हार्न, ओवर लोड, अधिक सवारी, मकैनिक्ल गडबडी, गाडी की फिटनश, और कई तरह के मामले इसमे आते हैं तब गाडी के ड्राईवर को बतौर जुर्माना शासन द्वारा निर्धारित शुल्क का भुगतान करना पडता है। व यहां पर पदस्थ कर्मियों को गाडी की पूरी जांच करनी होती है, परंतु यहां पर ठेकेदार के लोगों से इस बात से कोई वास्ता नहीं है कि गाडी में कौन जा रहा है या क्या लदा है इन्हें तो बस अपनी चढोत्तरी से मतलब है फिर चाहे उसमें कुछ भी हो अपनी चढोत्तरी लेने के बाद नाके से गाडी को निकाल देते हैं।
इसी नियम और धारा के अनुसार 4000 हजार की रसीद काटी गई पर बाकीं के उन अधिक लिये रूपयों के स्टीकर उन वाहन चालकों को दे दिये जाते हैं। जो आने जाने पर पुन: इस नाके पर दिखा कर आया जा सकता है। इसकी समय अवधि एक माह की होती है। इनके द्वारा तरह-तरह प्रकार के कूपन छपवा कर रखे गये हैं और लिये गये राशि के अनुसार ही इन स्टीकरों को दिये जाते हैं। जब पत्रकारों ने यहां पर किसी अधिकारी या कर्मचारी से बात करने की कोशिश की तो वह कैमरे के सामने बात करने से कतराता रहा और वह कुछ नहीं बोला।
इस संबंध में जब क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के मो. क्रं. 9926885347 पर कई बार बात करने की कोशिश की गई, परंतु उन्होंने इसे उठाना मुनासिब नहीं समझा इसी तरह से परिवहन आयुक्त ग्वालियर से भी बात करने की कोशिश की गई, परंतु उनके कार्यालय का फोन नहीं उठा।