भोपाल। भाजपा की अपनी ही एक रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के 18 मंत्रियों से उनके ही मतदाता नाराज हैं, जबकि प्रदेश की 90 विधानसभाएं ऐसी हैं जहां शिवराज सिंह की तमाम लोक लुभावन योजनाओं और मनभावन भाषणों का कोई असर नहीं हो रहा। वहां भाजपा की हालत पतली है और कड़ी मेहनत की जरूरत है। हारने की संभावनाएं ज्यादा हैं।
मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक ही नहीं, आधी सरकार के लिए भी आगामी विधानसभा चुनाव आसान नहीं रहने वाला है। यही कारण है कि संगठन व सत्ता की ओर से विधायकों के साथ मंत्रियों को भी समय रहते हालात काबू में करने की हिदायतें दी जा रही हैं।
मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक ही नहीं, आधी सरकार के लिए भी आगामी विधानसभा चुनाव आसान नहीं रहने वाला है। यही कारण है कि संगठन व सत्ता की ओर से विधायकों के साथ मंत्रियों को भी समय रहते हालात काबू में करने की हिदायतें दी जा रही हैं।
मंत्रियों के खिलाफ असंतोष पार्टी की ओर से पिछले दिनों कराए गए आंतरिक आकलन से जाहिर होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कुल 33 मंत्री हैं, जिनमें से 18 मंत्रियों से उनके क्षेत्र के मतदाता खुश नहीं हैं, लिहाजा उनके लिए आगामी चुनाव आसान नहीं होगा।
राज्य विधानसभा की 230 सीटों में से भाजपा की 152 सीटें है। पार्टी ने आगामी चुनाव के मद्देनजर जो आकलन कराया है, उसके मुताबिक 60 सीटों पर तो जीत तय है, लेकिन 90 सीटें ऐसी हैं, जिन पर पार्टी की जीत आसान नहीं है, और इन्हें जीतने के लिए पूरा जोर लगाना होगा। साथ ही उम्मीदवारों में बदलाव तक लाने की जरूरत होगी।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, 70 विधायकों के अतिरिक्त 18 मंत्रियों के पिछले चार वर्षो कामकाज को लेकर रिपोर्ट अच्छी नहीं है। इनमें
वित्त मंत्री राघव,
जलसंसाधन मंत्री जयंत मलैया,
चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा,
उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय,
पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई,
जेल मंत्री जगदीश देवड़ा,
स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस,
कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया,
महिला एवं बाल विकास मंत्री रंजना बघेल,
उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल,
श्रम मंत्री जगन्नाथ सिंह,
अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री हरिशंकर खटीक,
सामान्य प्रशासन मंत्री कन्हैया लाल अग्रवाल,
ग्रामीण विकास व पंचायत राज्य मंत्री देवी सिंह सरयाम,
पर्यटन मंत्री ब्रजेंद्र प्रताप सिंह,
परिवहन राज्य मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा,
वन राज्य मंत्री जय सिंह मरावी और शहरी विकास राज्य मंत्री मनोहर उंटवाल शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, आंतरिक आकलन में जहां आधी सरकार के दोबारा आसानी से चुनाव न जीतने की आशंका जताई गई है, वहीं इन मंत्रियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, आकलन रिपोर्ट के कारण ही राज्य सरकार के एक प्रभावशाली मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सुरक्षित सीट की तलाश में हैं और आगामी विधानसभा चुनाव महू की बजाय दूसरे स्थान से लड़ने का मन बना रहे हैं। वहीं चौहान सरकार में मंत्री रह चुके तुकोजी राव पंवार का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण भाजपा उन्हें चुनाव मैदान में नहीं उतारने का मन बना रही है।
पार्टी के आंतरिक आकलन रिपोर्ट के बाद ही संगठन ने बीते दिनों भोपाल में विधायकों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने इशारों ही इशारों में विधायकों के कामकाज पर सवाल उठाते हुए साफ कर दिया था कि अभी सात-आठ माह का वक्त है और विधायक अपनी स्थिति सुधार लें।
मुख्यमंत्री शिवराज ने भी एक-एक विधायक से खुलकर चर्चा की है। इन विधायकों से उनके क्षेत्र के विकास के साथ-साथ विधायकों की स्थिति पर भी सवाल किए गए। उन्होंने हार की कगार पर खड़े विधायकों को सख्त लहजे में हिदायत भी दी।
संगठन और सत्ता की ओर से विधायकों के साथ-साथ मंत्रियों को भी हिदायतें दी गई हैं ताकि वे आने वाले समय में अपने क्षेत्र में रहकर जनता की भावना के मुताबिक काम करें।