भोपाल। एक बार फिर भोपालसमाचार.कॉम की खबर का असर दिखाई दिया। गोलगप्पे बेचकर दिन गुजार रही औलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट सीता की कहानी देश के सभी प्रतिष्ठित मीडिया घरानों में प्रकाशित हुई और अंतत: मध्यप्रदेश सरकार को उसे 1 लाख रुपए देने की घोषणा करनी ही पड़ी।
सनद रहे कि यह खबर भोपालसमाचार.कॉम ने 10 अप्रैल को 'उनसे ओलंपिक में गोल्ड मैडल जीते थे अब वो मेंटली चैलेंज्ड है, गोलगप्पे बेचती है' शीर्षक के साथ प्रकाशित की थी। इसके बाद धीरे धीरे यह मामला पूरे देश की मीडिया में स्थान प्राप्त करता चला गया और महज दो दिनों में मध्यप्रदेश सरकार प्रेशर में दिखाई दे गई।
अंतत: सरकार को घोषणा करनी ही पड़ी कि वो सीता को 1 लाख रुपए देगी। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से मिल रहीं सूचनाओं के अनुसार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एथेन्स स्पेशल ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली रीवा की बालिका सीता साहू को एक लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है। गरीबी के चलते वह गोलगप्पे बेचने पर मजबूर थी।
उल्लेखनीय है कि सीता साहू ने 2011 में एथेन्स के विशेष ओलंपिक में 200 मीटर और 1600 मीटर की दौड़ में कांस्य पदक जीते थे। जब टीम एथेंस के लिये रवाना हो रही थी तब प्रदेश के पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव ने घोषणा की थी कि जो भी खिलाडी पदक जीत कर लायेगा उसे राज्य सरकार की और से पुरस्कृत किया जायेगा।
उन्होंने स्वर्ण पदके लाने वाले को एक लाख, रजत पदक विजेता को 75 हजार और कांस्य पदक विजेता को 50 हजार रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की थी।
रीवा निवासी गरीब परिवार की सीता साहू द्वारा दो पदक जीतने के बावजूद प्रदेश सरकार अपना किया गया वायदा भूल गयी। सीता के पिता चाट की दुकान लगाते हैं और पिछले दिनों बीमार होने के कारण सीता गोलगप्पे बेचने को मजबूर हो गयी और इसके चलते अपने स्कूल भी नहीं जा पा रही थी।
सीता का कहना है कि वह पढ़ाई के साथ-साथ आगे भी खेलना चाहती है लेकिन पारिवारिक मजबूरी के चलते उसे चाट और फुल्की का ठेला लगाना पढ रहा है।
मीडिया में ओलंपिक पदक विजेता के गोलगप्पे बेचने पर मजबूर होने संबंधी खबर के प्रकाश में आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आनन-फानन में सीता को एक लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की।