योजना आयोग ने निकाल दी शिवराज के नं. 1 मध्यप्रदेश की हवा: अजय सिंह

भोपाल। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने आज एक पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान पर प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता को छलने, ठगने और गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विकास दर में नंबर वन मध्यप्रदेश को बताने के लिए 50 करोड़ रूपये जनता की गाढ़ी कमाई के खर्च करने वाले शिवराज सिंह चैहान ने लोकतंत्र, राजनीति में एक घटिया संस्कृति की शुरूआत की है।

उन्होंने कहा कि उन्होंने एक ऐसे झूठ पर पैसा बहाया जिसके बारे में एक नेत्रहीन को भी पता है कि मध्यप्रदेश विकास दर में नंबर वन नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि पूर्व में भी शिवराज सरकार के झूठ को उजागर किया था कि देश के पांच-छः राज्यों के आधार पर केन्द्रीय सांख्यिकी विभाग के जिस विकास दर में बिहार से आगे होने का दावा करने के बाद मुख्यमंत्री ने अपने को नंबर वन बताया वास्तव में उस विकास दर में सबसे ज्यादा विकास दर पांडिचेरी की थी।

श्री सिंह ने कहा कि अंततः झूठ का पर्दाफाश होता ही है। हाल ही में भारत सरकार के योजना आयोग मध्यप्रदेश सरकार को जो पत्र लिखा उसमें विकास दर के मूल सूचकांक, शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने का पानी, उद्योग जैंसे महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं उसमें मध्यप्रदेश की हालत बेहद खराब बताई है।

खेती में सबसे पीछे मध्यप्रदेश

श्री सिंह ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि प्रति व्यक्ति आय पूरे देश की 43624 है लेकिन मध्यप्रदेश की 27850 हैं प्रदेश में उपलब्ध कृषि भूमि का मात्र 45 प्रतिशत हिस्सा उपयोग में आ रहा है। सिंचित भूमि का प्रतिशत बेहद कम है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों को तकनीकी सलाह देने की क्षमता बेहद कम, कृषि स्टाफ की कमी है। पूरे देश में हार्टीकल्चर के क्षेत्र में मध्यप्रदेश बहुत ही पिछड़ा हुआ है।

एज्यूकेशन: गांव में मात्र 1 प्रतिशत युवा ही कर पाते हैं ग्रेजुएशन

नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि जहां भारत सरकार के योजना विभाग ने खोली वहीं नेशनल सेम्पल सर्विस आफिस ने अपनी 66वें सर्वे रिपोर्ट में प्रदेश के शिक्षा की हालत को बदतर बताया। इस रिपोर्ट में मध्यप्रदेश की उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा दोनों में स्थिति बदतर बतलाई हैं।

इससे पता चलता है कि सर्वशिक्षा अभियान, मध्यान्ह भोजन योजना के लिए जो रूपये मध्यप्रदेश को मिला है उसका क्या उपयोग मध्यप्रदेश सरकार ने किया। इस रिपोर्ट के अनुसार महिला-पुरूष साक्षरता में बेहद असमानता मध्यप्रदेश में है। प्राथमिक स्तर पर नामांकन निरंतर कम हो रहा है। लगभग डेढ़ लाख बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं।

प्रदेश में 28 हजार ऐसे शिक्षक है जो अप्रशिक्षित हैं ग्रामीण क्षेत्रों में कुल विद्यार्थियों की नामांकित संख्या में से मात्र 01 प्रतिशत युवा ही स्नातक होते हैं। शहर-ग्रामीण क्षेत्रों में यह रेशो 10-1 का है अर्थात ग्रामीण क्षेत्रों में 22 ग्रेजुएट एक साल में होते हैं तो शहरी क्षेत्रों में यह संख्या 190की है।

श्री सिंह ने कहा कि हायर सेकेण्डरी में एक तिहाई बच्चे ही पास कर पाते है। मार्च 2013 को जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्यप्रदेश पूरे देश में नीचे से पांच राज्यों में से एक है जहां महिलाओं में सबसे कब साक्षरता है। प्राथमिक शाला में 6 से 10 साल के बीच में 100 में से 75 बालिकाएं रजिस्टर्ड होती है जो बारहवीं कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते मात्र 21रह जाती है।

स्कूल चलो अभियान नाम पर करोड़ों रूपये कहां किसके जेब में गया यह रिपोर्ट इसे उजागर करती है। देश के उन पांच बदतर राज्यों में मध्यप्रदेश शामिल है जहां 15 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में अशिक्षा की दर सर्वाधिक है। श्री सिंह ने कहा कि लाड़ली लक्ष्मी, कन्या दान, कन्या अभिभावक पेंशन योजना चलाकर अपने को मसीहा बताने वाले मुख्यमंत्री इस जमीनी हकीकत से नावाकिफ है।

उन्होंने कहा कि इस सर्वे में शिक्षा की इस बदतर हालात के लिए जो प्रमुख कारण बताए गए हैं उसमें सड़कों की कनेक्टीविटी, जागरूकता का अभाव, असुरक्षा की भावना और उनकी बदतर आर्थिक हालात है।

60 लाख बच्चे कुपोषित, 59 प्रतिशत शिशु मृत्युदर, 400 स्वास्थ्य केन्द्रों पर डॉक्टर नहीं

नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि यह तो शिक्षा के हालात है स्वास्थ्य में 60 लाख बच्चे कुपोषित है। एस.आर.एस 2011 के अनुसार 100 में से 59 शिशु आज भी जन्म लेने के बाद जीवित नहीं बचते जो देश में सर्वाधिक है। प्रजनन दर सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में है। 400 ऐसी स्वास्थ्य संस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों में है जहां डाक्टर ही नहीं है।

पूरे प्रदेश में तीन हजार डाक्टरों की कमी है। स्त्री-पुरूष अनुपात में बेहद गिरावट मध्यप्रदेश में आंकी गई। 932 से 912 पर आ गए। आज भी प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की 30 प्रतिशत आबादी पीने के पानी से वंचित है। शेष आबादी को गुणवत्तापूर्ण पानी नहीं मिल रहा। मात्र 11 प्रतिशत गांव ऐसे हैं जहां पाइप लाइन से पानी से सप्लाई है।

23हजार ग्राम पंचायतों में से मात्र 9 प्रतिशत ग्राम पंचायत निर्मल ग्राम बन पाए। मनरेगा में मध्यप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जहां उपलब्ध राशि के अनुसार जितना रोजगार सृजित होना था विकास कार्य होना था उसमें सबसे कम मध्यप्रदेश में हुआ है।

श्री सिंह ने कहा कि एसोचेम के आंकड़ों के अनुसार देश में छः राज्यों में मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां सबसे कम निवेश औद्योगिक क्षेत्र में हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले दस साल शिवराज और भाजपा सरकार के ढोंग करने के साल रहे है।

होर्डिंग्स पर टंगी रह गईं योजनाएं

बेटी बचाओ, लाडली लक्ष्मी योजना, कन्यादान, तीर्थ यात्रा आदि-आदि यह सिर्फ जनता को गुमराह करने के लिए बनाई गई और यह सिर्फ विज्ञापनों, होर्डिंग्स में शिवराज की फोटों के साथ चस्पा होकर टंगी रह गई। जमीन में हकीकत क्या है यह आपने देख ही लिया।

श्री सिंह ने कहा कि हर क्षेत्र में असफल रहने वाली सरकार ने अब हिटलर का प्रचार अभियान अपना रखा है। सौ बार झूठ बोल कर उसे सच बनाने का, लेकिन मुख्यमंत्री इस फेर में न रहे हिटलर का हश्र पूरी दुनिया ने देखा और शिवराज का हश्र 2013 में इस प्रदेश की जनता उनके झूठ का सच जवाब देकर बताएगी।

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