भोपाल। एक तो पगार कम उस पर भी वितरण का नहीं है कार्इ् सिस्टम। यह हालात देखना है तो अध्यापकों के देखिए। पूरे मध्यप्रदेश में संविदा शिक्षकों और अध्यापकों के वेतन वितरण का कोई सिस्टम नहीं हैं। मंण्डला में जनवरी से आज तक वेतन ही नहीं बांटा गया।
समझ नहीं आता कि ये मध्यप्रदेश सरकार है या खदान का ठेकेदार। जब मन आए पगार दी, नहीं तो नहीं दी। मजदूरी बराबर चलवाता रहता है।
मंडला के परेशान अध्यापकों ने अंतत: भोपालसमाचार.कॉम को मेल भेजकर अपनी परेशानी बताइ है। हम उनके मेल को यथावत प्रकाशित कर रहे हैं। आप भी देखिए क्या कुछ समस्याएं हैं मंडला के अध्यापकों की।
संपादक महोदय
मण्डला जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है यहाँ सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए भी 90 प्रतिषत ष्षालाओं को अध्यापक और संविदा षिक्षक सफलता पूर्वक संचालित करते हैं। इन अल्पवेतन भोगी अध्यापक और संविदा षिक्षकों को जनवरी 2013 से अब तक वेतन अप्राप्त है।विभाग कुछ खास कार्यों में व्यस्त है जिससे आबंटन की समस्या पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। इस सम्बंध में सहायक आयुक्त से लेकर नवागत कलेक्टर तक से निवेदन किया गया है किन्तु उनकी गम्भीरता की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अध्यापकों के वेतन एवं भत्तों के लिये हमें भिखारियों की तरह गिड़गिड़ाना पड़ता है। स्वामी विवेकानंद ने ठीक ही कहा है-
‘जिनके पास है उन्हें और दिया जाता है जिनके पास थोड़ा है उनसे वह भी छीना लिया जाता है‘।
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नोट:- कर्मचारी नेताओं को चाहिए कि वो आधिपत्य का संघर्ष छोड़कर समस्याओं के समाधार पर ध्यान दें। कर्मचारियों की इन समस्याओं का यदि मुरलीधर पाटीदार और मनोहर दुबे के पास कोई समाधान नहीं है तो उन्हें कोई हक नहीं बनता कि वो खुद को प्रांताध्यक्ष कहें।