गैरतगंज। राकेश गोर। रायसेन जिले की नगर परिषद गैरतगंज में विगत 25 मार्च को .प्र. नगरीय प्रशासन द्वारा जारी लिखित आदेश के बाद से ही नगर पंचायत अध्यक्ष को पद से विमुक्त कर दिया गया था। इस कार्यवाही के बाद नगर परिषद का अध्यक्ष का पद अभी तक खाली पडा हुआ है जिसके कारण नगर के विकास कार्यो में पूरी तरह से विराम लग गया है।
म.प्र. नगरीय प्रशासन द्वारा 25 मार्च को जारी किया गया नगर परिषद अध्यक्ष गैरतगंज को पद से मुक्त करने के प्रतिवेदन को नगर परिषद गैरतगंज तक पहुंचने में 7 दिनों का समय लगा और शासन का उक्त आदेश 1 अप्रेल को नगर परिषद अधिकारी को मिला।
इस आदेश के बाद से नगर पालिका के मुखिया एवं नगर में विभिन्न विकास कार्यो को चलानें वाले अध्यक्ष पद की सीट खाली हो गई। लगभग 25 दिनों के बाद से रिक्त अध्यक्ष पद के रिक्त होने के कारण नगर में विकास कार्य पूरी तरह रूके पडे है।
शासन स्तर पर अभी तक किसी भी प्रतिनिधी को नगर परिषद के अध्यक्ष पद के रूप में शासन के नियमानुसार एक निष्चित समय के लिए अभी तक नामीनेट नही किया गया। जिससे नगर पंचायत में कर्मचारियों के वेतन संबंधी भुगतान सामाजिक पेंशन संबधी भुगतान,निर्माण कार्य प्रभावित सहित अन्य बडे भुगतान लंबित हो रहे है।
आपसी खींचतान का नतीजा, झेल रहे नगरवासी
नगर पंचायत गैरतगंज के अध्यक्ष पद के खाली हो जाने के बाद से ही नगर परिषद में अध्यक्ष पद के लिऐ नामीनेट होने के लिए पार्षदों एवं सत्ताधारी पक्ष के नेताओं में आपसी खींचतान शुरू हो गई। जिसका नतीजा 25 दिनों के अंतराल के बाद अध्यक्ष पद के लिए किसी का नाम अभी तक नामीनेट नही हो सका।
ज्ञात हो कि नगर परिषद में अध्यक्ष पद पिछडा वर्ग महिला के लिए आरक्षित है। जिसके अंतर्गत गिने चुने वार्डो में ही पिछडा वर्ग महिला पार्षद है जिसे नियमानुसार अध्यक्ष की कुर्सी पर नामीनेट किया जाना है परन्तु इस सोने की खान वाली अध्यक्ष की कुर्सी के लिए हर कोई लालाइत हो रहा है।
सत्ता पक्ष के नेता अपने पक्ष के पार्षद को अध्यक्ष नामीनेट के लिए जी जान से कोषिष में लगे है। लेकिन आपसी खींचतान के कारण अध्यक्ष पद रिक्त है।जिसके चलते विकासकार्य पूरी तरह रूके पडे है।आपसी खींचतान में नगरवासी पिस रहे है।
छः माह पहले भी खाली पडा रहा अध्यक्ष पद
वर्ष जून 2009 में पहली बार अस्तित्व में आई नगर पंचायत गैरतगंज में चुनाव के छः माह पूर्व तक अध्यक्ष पद से रिक्त रही।जिससे उस समय नगर में विकास कार्य पूरी तरह से नगण्य रहा।
उस समय भी सत्ता पक्ष की ओर से किसी भी उम्मीदवार को अध्यक्ष पद पर नामीनेट नही किया गया।उस समय भी आपसी खींचतान आपसी विरोध के चलते अध्यक्ष का पद खाली पडा रहा।
उसी तरह का हाल अब फिर देखने को मिल रहा है।इस बार फिर अध्यक्ष पर के लालच के चलते उममीदवार को नामीनेट होने में इतना समय लग रहा है फिर चाहे नगर का विकास ही क्यों न प्रभावित हो।इसकी चिंता किसी का नही है। म.प्र. नगरीय प्रषासन द्वारा भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है।