29 सालों तक सरकारी अस्पतालों में लोगों का इलाज करता रहा फर्जी डॉक्टर

shailendra gupta
होशंगाबाद। बनखेड़ी के पूर्व बीएमओ और वर्तमान में पिपरिया अस्पताल में पदस्थ डॉ.जीपी खरे को राज्य शासन ने बर्खास्त कर दिया है। वे पिछले 29 सालों से बिना क्वालिफिकेशन के ही स्वास्थ्य विभाग में बतौर मेडिकल ऑफिसर नौकरी कर रहे थे।

स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा कराई गई जांच में पाया गया है कि डॉ. खरे ने एमबीबीएस की पढ़ाई की ही नहीं है। वे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में रजिस्ट्रेशन के बिना ही प्रैक्टिस कर रहे थे। जांच में डॉ. खरे के इस दावे को भी गलत पाया गया है कि उनकी डिग्री और दस्तावेज सचिवालय में जमा हैं। इसके संबंध में उनके द्वारा प्रस्तुत की गई पावती को फर्जी पाया गया है। अब विभाग डॉ. खरे के खिलाफ कार्रवाई और उनके द्वारा वेतन के रूप में ली गई राशि वसूलने की तैयारी कर रहा है।

भास्कर ने किया था खुलासा: डॉ. खरे द्वारा बिना क्वालिफिकेशन के सरकारी नौकरी करने के मामले का खुलासा दैनिक भास्कर ने 24 नवंबर के अंक में किया था। इसके बाद कलेक्टर ने सीएमएचओ को मामले की जांच के आदेश दिए थे। सीएमएचओ की जांच बाद स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. पंकज अग्रवाल ने भी इस मामले की जांच कराई थी। इसी के नतीजों के आधार पर डॉ. खरे को बर्खास्त किया गया है।

मेडिकल कॉलेज में नहीं की पढ़ाई: डॉ. खरे ने बताया था कि उन्होंने एमबीबीएस 1972 में और एमडी 1983 में गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से किया है। लेकिन जांच में पाया गया है कि इन दोनों ही सत्रों में जीपी खरे नाम वाला कोई स्टूडेंट मेडिकल कॉलेज में था ही नहीं।

नहीं मिला सर्विस रिकॉर्ड: डॉ. खरे के मुताबिक सरकारी डॉक्टर के रूप में उनकी नौकरी की शुरुआत 1984 में बैतूल से हुई थी। इस बारे में जांच टीम द्वारा बैतूल जिला चिकित्सालय से उनका सर्विस रिकॉर्ड मांगा गया था। लेकिन वहां उनका कोई रिकॉर्ड था ही नहीं। इसी तरह होशंगाबाद में भी उनका सर्विस रिकॉर्ड नहीं मिला।

फर्जी निकली पावती: जांच के दौरान डॉ. खरे ने कहा था कि उनकी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित दस्तावेज और सर्विस रिकॉर्ड सचिवालय में जमा है। इसके लिए उन्होंने सचिवालय के पत्र क्रं. एफ5-29/2011/15/मेडि-1 दिनांक 9.5.11 और 16.5.11 को पावती के तौर पर प्रस्तुत किया था। लेकिन जांच में कंप्यूटर डाटा और रिकॉर्ड में सचिवालय से ऐसा कोई पत्र जारी किए जाने की पुष्टि नहीं हुई।


रजिस्ट्रेशन भी फर्जी: डॉ. खरे ने जांच टीम को बताया था कि उनका मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया का रजिस्ट्रेशन नंबर 1102 है। लेकिन जब टीम ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से इस बारे में जानकारी मांगी, तो यह नंबर हरदा के डॉ. आनंदीलाल झंवर का था।

सरकारी पैसों के गोलमाल में भी एफआईआर

सरकारी पैसे के गोलमाल के मामले में बनखेड़ी थाने के बीपीएम, लेखापाल और तत्कालीन बीएमओ डॉ.जीपी खरे के खिलाफ पहले ही एफआईआर की जा चुकी है। बनखेड़ी टीआई एसएन मुकाती ने बताया कि इस मामले में डॉ.खरे को जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।

आगे भी जांच होगी

स्वास्थ्य विभाग के ज्वाइंट डाइरेक्टर डॉ.जांगड़े के मुताबिक यह प्रदेश में अपनी तरह का पहला मामला है। उनका कहना है कि बर्खास्तगी के अलावा भी जीपी खरे के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन कार्रवाई क्या होगी, यह विभाग तय करेगा। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक डॉ. खरे ने 1984 से अब तक वेतन के रूप में करीब 26 लाख रुपए प्राप्त किए हैं। उनसे इस राशि की वसूली भी हो सकती है।


बर्खास्तगी के आदेश जारी: डॉ.जीपी खरे के एमबीबीएस की डिग्री और मेडिकल काउंसिल का रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से फर्जी पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव ओपी बाथम ने डॉ.खरे को बर्खास्त कर दिया हैं। उनके खिलाफ एफआईआर और वसूली की कार्रवाई विभाग से निर्देश मिलने के बाद ही जाएगी।

डॉ.सुधीर जैसानी, 
सीएमएचओ होशंगाबाद

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