भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद कांतिलाल भूरिया ने म.प्र. के 8 लाख सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि सरकारी कर्मचारियों के संगठन अपनी वाजिब मांगों को मंजूर कराने के लिए प्रतीकात्मक आंदोलन करते हुए पांचवें चरण तक पहुंच गए हैं।
इसका अर्थ यह है कि वे एक लंबे अर्से से अपनी मांगों को पूरी कराने के लिए राज्य सरकार से निवेदन करते आ रहे हैं। यह जग जाहिर बात है कि भाजपा सरकार ने अपने कर्मचारियों के साथ भारी वादा खिलाफी की है। कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला अचानक नहीं लिया है। वे राज्य सरकार के ठंडे और उपेक्षापूर्ण रवैये से अब आजीज आ चुके हैं।
भूरिया ने कहा कि म.प्र. का इतिहास गवाह है कि प्रदेश के सरकारी कर्मचारी एकाएक कोई बड़ा आंदोलनकारी कदम नहीं उठाते हैं। इस बात को शिवराज सरकार को ध्यान में रखना चाहिए। अब कर्मचारियों के धैर्य की अधिक परीक्षा न लेते हुए सरकार को उनकी उचित मांगों को स्वीकार करने की समझदारी दिखाने के लिए आगे आना चाहिए। सरकारी कर्मचारियों को अपनी मांगों के लिए हड़ताल का रास्ता अख्तियार करना पड़े यह सरकार और जनता दोनों के हित में नहीं है।
श्री भूरिया ने कहा है कि कुछ समय पूर्व राज्य के पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजयसिंहजी ने राज्य सरकार का ध्यान उन मुद्दों की तरफ आकर्षित किया था, जो सरकारी कर्मचारियों की मांगों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया था कि भाजपा सरकार कर्मचारियों के कई हक़ दबाये बैठी है। इस संबंध में कर्मचारी संगठनों ने मुख्य मंत्री को करीब दो महीने पहले एक 51 सूत्रीय मांग पत्र भी सौंपा था। इस मांग पत्र में कर्मचारियों के भावी आंदोलन की सूचना भी दी गई थी, किंतु दो महीने बीत जाने के बाद भी नाटक-नौटंकियों में व्यस्त सरकार ने मांग पत्र को पलटकर भी नहीं देखा।
सांसद ने कहा है कि कर्मचारियों से इस संबंध मंे चर्चा के लिए गृह मंत्री उमाषंकर गुप्ता को अधिकृत किया गया है। जो गृह मंत्री अपने पद के मूल दायित्वों को सक्षमतापूर्वक न निभा पा रहा हो और जिसकी संवेदनाएं शून्य हो चुकी हों, उससे यह आषा करना कि वह कर्मचारियों को न्याय दिला पाएगा, दिवास्वप्न के अलावा कुछ नहीं है। आपने कहा है कि श्री गुप्ता को यह काम इस राजनीतिक उद्देष्य से दिया लगता है कि वे भोपाल के कर्मचारी प्रधान निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आते हैं। षिवराजसिह विधान सभा चुनाव के समय उनकी ‘‘झांकी’’ एक बार फिर जमाना चाहते हैं।