हाईकोर्ट का आदेश: पारस सखलेचा फर्जी विधायक, निर्वाचन शून्य घोषित

shailendra gupta
इन्दौर। रतलाम में पारस सकलेचा के निर्वाचन को शून्य घोषित किये जाने के बाद से ही भाजपा एवं कार्यकर्ताओं में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी। रतलाम के निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा के निर्वाचन को उच्च न्यायालय की इन्दौर खण्डपीठ ने शून्य घोषित कर दिया है पारस सकलेचा के निर्वाचन के विरुध्द पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी ने चुनाव याचिका दायर की थी। इस फैसले से यह तो साफ़ हो चला है की श्री कोठारी की राजनीतिक स्थिति भी मजबूत है।

उल्लेखनीय है कि विगत विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी पारस सकलेचा ने गृहमंत्री हिम्मत कोठारी को 31 हजार मतों से पराजित किया था। चुनाव प्रचार के दौरान पारस सकलेचा ने श्री कोठारी पर गृहमंत्री रहते हुए भारी भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे। इन्ही आधारहीन आरोपों को आधार बनाकर श्री कोठारी ने सकलेचा के खिलाफ चुनाव याचिका दायर की थी। इस याचिका में श्री कोठारी ने निर्वाचन आयोग द्वारा बनाई गई श्री सकलेचा के भाषणों की रेकार्डिंग्स प्रस्तुत की  थी, जिससे यह स्पष्ट होता था कि सकलेचा ने श्री कोठारी के विरुध्द भ्रष्टाचार के तमाम झूठे आरोप लगाए थे।

मजेदार तथ्य यह है कि याचिका की सुनवाई के दौरान श्री सकलेचा ने निर्वाचन आयोग द्वारा की गई रेकार्डिंग्स को भी झुठलाने से परहेज नहीं किया। उन्होने साफ इंकार कर दिया कि उन्होने ऐसे भाषण नहीं दिए है।

चार साल तक चली लम्बी सुनवाई के बाद आज उच्च न्यायालय ने याचिका पर निर्णय देते हुए श्री सकलेचा को चुनाव प्रचार के दौरान भ्रष्ट आचरण का दोषी पाया और श्री सकलेचा के चुनाव को शून्य घोषित कर दिया।

विगत 6 नवम्बर 2008 को शहर के मोचीपुरा चौराहे पर सभा के दौरान सकलेचा ने श्री कोठारी पर प्रदेश के पुलिस बल के लिए बन्दूको की खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था| हज़ारो लोगो की मौजूदगी में सभा में सकलेचा ने कहा था की कोठारी के कार्यकाल में दो करोड़ की बन्दूको को सोलह करोड़ में खरीद कर कोठारी ने 14 करोड़ का भ्रष्टाचार किया|

इसी तरह विगत 9 नवम्बर 2008 को शहर के सुभाष नगर क्षेत्र में सकलेचा ने अपनी सभा में कोठारी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने देश के बंगलुरु शहर में बड़ा होटल खोला, मुम्बई के भायंदर से लगाकर बोरीवली क्षेत्र में चार सो करोड़ की एक आवासीय कालोनी विकसित की, इसी सभा में सकलेचा ने कहा था की कोठारी मतदाताओं को लुभाने के लिए टीवी सेट , ठेलागाड़ी , कपडे , बर्तन जैसी वस्तुओ के साथ नगदी बांट रहे है|

ऐसी ही एक अन्य सभा शहर के बाजना बस स्टेंड पर सकलेचा ने विगत 16 नवम्बर 2008 संबोधित की थी| इस सभा में उन्होंने कोठारी पर अपने वनमंत्री के कार्यकाल के दौरान मोर दाना और पानी की खरीद में भारी भ्रटाचार के आरोप लगाकर सनसनी मचा दी थी|

इस याचिका की सुनवाई के दौरान पारस सकलेचा ने अपने बचाव में पहले तो निर्वाचन आयोग से प्राप्त सीडी की प्रामाणिकता को संदिग्ध बताया| इसके बाद उन्होंने बताई गई आमसभाओ को संबोधित करने से ही इनकार कर दिया था और तो और उन्होंने श्री कोठारी पर किसी भी तरह का आरोप लगाए जाने से इनकार करते हुए सीडी में दर्ज आवाज़ को अपनी आवाज़ तक मानने से इनकार कर दिया था|

इस मामले में श्री कोठारी की और से याचिका की पैरवी उच्च न्यायालय के अधिवक्ता वीर कुमार जैन एवं सुबोध अभ्यंकर ने की|

सत्य की जीत-कोठारी

उच्च न्यायालय के निर्णय पर पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह फैसला असत्य पर सत्य की जीत है। चुनाव प्रचार के दौरान मेरी छबि को बिगाडा गया और मुझ पर करोडों रुपए के भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाकर मतदाताओं को भी भ्रमित किया गया था। ऐसी स्थिति में सत्य को सामने लाने के लिए न्यायालय की शरण में जाना जरुरी था और न्यायालय ने सत्य को सबके सामने ला दिया है।

श्री कोठारी ने कहा कि पहले उनकी इच्छा श्री सकलेचा के विरुध्द व्यक्तिगत मानहानि का दावा लगाने की थी,लेकिन पार्टी और मित्रों की सलाह पर उन्होने निर्वाचन याचिका प्रस्तुत की थी ताकि भविष्य में अन्य राजनीतिक दलों व नेताओं को भी यह सबक मिले कि प्रतिद्वंदी पर आधारहीन और झूठे आरोप लगाकर चुनाव जीतने के प्रयास न किए जाए।


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