मनरेगा में मुर्दों ने बनाई सड़क, किया वृक्षारोपण, मजदूरी भी ले गए

shailendra gupta
दमोह से शंकर सोनी। केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) में भारी भरकम गड़बडिय़ा की जा रही है। योजनाओं में हो रही गड़बडिय़ों अब खुलकर सामने आ गई हैं इसमें मुर्दे बाकायदा सड़कों का निर्माण कार्य कर रहे है, मुर्दो के द्वारा वृक्षारोपण कार्य कराया गया और बाकायदा उन्हें खातों के द्वारा भुगतान भी किया जा रहा है। जिंदा और मुर्दा लोगों के जाबकार्ड बने हुए है और वे सब सचिव के कब्जे में है।

मजेदार बात यह है कि जिस तरह मुर्दे नजर नहीं आते ठीक इसी तरह इस ग्राम पंचायत पुरा में किया गया विकास कार्य दिखाई नहीं दे रहा है। अगर ईमानदारी से रिपोर्ट को उच्चस्तरीय जांच कराई जाये तो एक नहीं अनेकों गड़बडिय़ॉ सामने आ जायेगी और संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जा सकेगी।

मामला दमोह जिले की जनपद पंचायत का है जहॉ सरपंच दरबारी आदिवासी और सचिव संदीप जैन के ऊपर ग्राम के द्वारका पांडे और उप सरपंच लोकमन पटेल और पंक चक्रपाणि तिवारी, आशाराम अठ्या, नाथूराम, पन्नालाल, प्रीतिबाई, ममता रानी, कौशलरानी ने कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह का लिखित में सचिव के विरूद्ध शिकायती आवेदन दिया है, जिसमें उन्होंने सचिव संदीप जैन पर अनेक गंभीर मामलों का जिक्र किया है उनके साथ-साथ अनेकों ग्रामीणों ने सचिव की कार्यप्रणाली पर आरोप लगाते हुए कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाई है।

ग्रामीणों का आरोप है की हम लोगों ने मिलकर जनपद पंचायत पथरिया, जिला पंचायत और कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई में अनेकों बार सचिव के खिलाफ शिकायती आवेदन दिये हैं लेकिन किसी भी उच्चाधिकारी के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। अभी बार-बार हम लोगों ने अधिकारियों के चक्कर लगाये आंदोलन करने की बात कहीं तब जाकर मुश्किल से सचिव संदीप जैन को निलंबित किया गया है जो निश्चित ही कुछ ही दिनों में बहाल कर दिया जायेगा। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत सचिव संदीप जैन की उच्चस्तरीय जांच कर इसके ऊपर एफआईआर कराकर उचित दंडात्मक कार्यवाही की जाये। हम सभी ग्रामीण इनसे परेशान हो चुके है हमने इसकी शिकायत पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव मध्यप्रदेश शासन से भी की है। हम चाहते है कि हमें न्याय मिले।

गांव वालों की जानकारी के अनुसार सचिव ने गांव के अनेकों आदमियों से राशन कार्ड बनवाने के नाम पर एक हजार रूपये प्रति व्यक्ति लिये। इसी तरह कुटीर दिलाने के वास्ते लगभग 30 लोगों से पांच हजार प्रति व्यक्ति से लिये। ग्रामीणों का आरोप है कि कूप निर्माण के वास्ते दस हजार लगभग 30 लोगों से लिये। दो वर्ष बीत जाने के बाद न तो लोगों को कुटीरें मिली न ही कूप और न ही बने राशन कार्ड बस विवाद यहॉ से शुरू हो गया। सचिव ने बहुत ही चतुराई से किसी के यहां थोड़ी ईट डाल दी किसी के कुयें पर कुछ दिन काम लगवा दिया और लोगों को अपने विश्वास में लेकर रूपये हड़प लिये।

आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने आगे बताया कि पंचायत द्वारा कागजों पर 6 करोड़ की लागत राशि प्रत्येक के मान से 4 लाख 9 हजार की है ये सारा रूपया सचिव ने हजम कर लिया। पुरा से ग्राम पुरेना तक भाग एक और भाग दो मंडी बोर्ड से 3 मई 2011 को वर्क आर्डर जारी होकर 30 जुलाई 2012 को डामरीकरण कर रोड तैयार कर दिया गया था जहॉ पर आज भी मंडी बोर्ड का बोर्ड लगा हुआ है। दूसरा रोड मौजपुर से कुंआ खेड़ा तक बनाया गया है लेकिन सचिन ने अपनी चालाकी से इन्हीं रोडो को बनाने के नाम से 4 जून 2011 में आधा पैसा निकाल लिया और आगे फिर 29 दिसंबर 2011 में दूसरी किस्त भी निकाल ली जिसके बिल क्रमांक 1861764 रूपये की राशि निकाल ली। इतना ही नहीं और भी सड़क निर्माण कार्य को लेकर राशि 34123 बिल क्रमांक 01012 जो 18 मई 2012 बिल क्रमांक 01129068 रूपये, निकालकर टोटल राशि 340811.89 रूपये की राशि का आहरण सचिव के द्वारा किया गया है जो सभी फर्जी है।

ग्रामीणों का कहना है कि सचिव संदीप जैन की शिकायतें पूर्व में भी अनेकों सरपंचों द्वारा की जा चुकी है और इसे पहले भी सस्पेंड किया जा चुका है। कलेक्टर के पास सैकड़ों की तादाद में आवेदन दिये जा चुके है। पूर्व में कलेक्टर खेतान के द्वारा पिछली पंच वर्षीय में 15 दिवस का सिविल कारावास का नोटिस इसके लिये जारी किया गया था लेकिन कलेक्टर खेतान के स्थानांतरण होने के पश्चात राजनैतिक असर व रसूक के चलते सचिव ने उपरोक्त जांच में कागजी तौर पर स्यंम को निर्दोष साबित कर लिया था और पुन: सेवा में आ गया था। वर्तमान में शिकायत कर्ताओं ने नेट के माध्यम से सबूत एकत्रित कर कलेक्टर को सौंपकर निष्पक्ष जांच की मांग की है।

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