राकेश दुबे@प्रतिदिन। कोयला और कांग्रेस की तो एक ही राशि है कानून मंत्रालय भी इसी राशि में गिना जायेगा, प्रधानमंत्री कार्यालय तो विपरीत राशि कही जाती थी पर अब साफ होता जा रहा है कि वहां भी कालिख ने अपने कदम भरपूर तरीके से जमा लिए है| कभी-कभी मार्गी चलने वाली सी बी आई को भी वक्री मार्ग पर डालने में क्रूर ग्रह सफल हो गये है|
ज्योतिषियों की भाषा में इसे कुछ ऐसे ही कहा जायेगा| हकीकत यह है कि केंद्र सरकार देश के सर्वोच्च न्यायलय से भी उपर अपने को मानने की गलतफहमी पाल बैठी है| तभी तो सर्वोच्च न्यायालय को भेजी जाने वाली स्टेट्स रिपोर्ट को सरकार ने तलब कर लिया| कोयला जाँच तो उस दिन ही दफन हो गई थी, जब सरकार के मनमाफिक अधिकारी सी बी आई के निदेशक बनाये गए थे|
कोयला घोटाला अगर कोई और व्यक्ति उठाता तो शायद इसे राजनीति का नाम दे दिया जाता| भारतीय संविधान में वर्णित संवैधानिक संस्था नियंत्रक महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में यह घोटाला उजागर हुआ है| इस पर देश सर्वोच्च न्यायालय ने स्टेट्स रिपोर्ट सीबीआई से मांगी थी| सर्वोच्च न्यायलय को कौन सी जानकारी देना है और कौन सी छिपाना है| इसकी जानकारी पहले कानून मंत्री ने ली फिर सीबीआई स्वामिभक्ति दिखाने प्रधानमंत्री कार्यालय जा पहुंची| अब कोई कैसे मान ले की भारत में सीबीआई निष्पक्ष रूप से काम करती है|
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह पहले से ही साफ साफ कह रहे है की कांग्रेस सीबीआई का इस्तेमाल प्रतिपक्षी को डराने के लिए करती है| चूँकि कोयला घोटाले में उसके अपने सांसदों के हाथ काले हैं, इस कारण कांग्रेस फूंक-फूंक के कदम रख रही है और वह सब कर रही है,जो नैतिक नहीं कहा जा सकता| अब प्रतिपक्षी इस मामले में एस आई टी के गठन की मांग कर रहे है और यह होगा नहीं|