दमोह से शंकर सोनी। वन विभाग के अंतर्गत चलने वाली एक योजना है वन समिति की जिसके द्वारा जंगलों में और ग्रामीण इलाकों में पौधा रोपण का कार्य कराया जाता है। इन समितियों के द्वारा और भी अनेकों कार्य मजदूरों के द्वारा कराये जाते हैं, लेकिन वास्तव में ये कार्य कराये ही नहीं जाते, और यदि कराये भी जाते हैं तो थोड़े बहुत सिर्फ दिखाने के वास्ते बाकी सभी कार्य सिर्फ कागजों पर ही संचालित होते रहते हैं।
वनसमितियों के एक नहीं अनेकों मामले ऐसे हैं जहां काम कुछ भी नहीं हुआ और राशि का आहरण बराबर होता रहा। एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां तीन गांव की वनसमिति लखनी, कनेपुर, साखा ग्राम के अध्यक्षों ने मिलकर दमोह के तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह को 31 जनवरी 2012 को एक शिकायती आवेदन दिया था जिसमें उन्होंने लिखा है कि ग्राम वन समिति साखा, कनेपुर, लखनी अध्यक्ष एवं सचिव गनेश प्रसाद चौबे का संयुक्त खाता यूनियन बैंक दमोह में संचालित है और गनेश चौबे डिप्टी रेंजर हैं।
वन मंडल अधिकारी की स्वीकृति के अनुसार दिनांक 13 जनवरी 2012 को एक लाख पेंतीस हजार की राशि का आहरण बैंक से किया गया और यह राशि सचिव महोदय ने समिति अध्यक्ष को आवंटित न कर परिक्षेत्र अधिकारी श्री शर्मा को सौंप दी।
परिक्षेत्र अधिकारी ने तीनों प्रति एक समिति को पांच हजार रूपये के मान से मात्र 15 हजार रूपये दिये और वे अपने गृह निवास हटा चले गये। पौधारोपण करने वाले मजदूरों का भुगतान आज भी बाकी है। इस संबंध में हम समिति के अध्यक्षों ने कई बार सचिव गनेश चौबे से और परिक्षेत्र अधिकारी श्रीकांत शर्मा से बैंक से निकाली गई राशि की मांग की लेकिन इन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया।
इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर स्वतंऋ कुमार ने उक्त आवेदन की जांच परिक्षेत्र अधिकारी हटा (तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी सगौनी) से कराई। परिक्षेत्र अधिकारी हटा ने अपने पत्र क्रमांक 229 दिनांक 5/3/2012 द्वारा प्रतिवेदित किया कि वन समिति साखा, कनेपुर एवं लखनी क्षेत्र में क्रमश: 69 हजार रूपये, 33 हजार रूपये एवं 33 हजार रूपये इस तरह कुल 1 लाख 35 हजार रूपये का आहरण संयुक्त हस्ताक्षर कर निकाला गया। जिसका भुगतान परिक्षेत्र सहायक सगोनी द्वारा कर दिया गया। अब कोई भुगतान शेष नहीं है।
वन मंडल अधिकारी द्वारा तीनों समितियां साखा, कनेपुर, लखनी के अध्यक्ष उपाध्यक्ष एवं कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से एतद द्वारा भंग कर दिया, तीनों समिति भंग कर दी गई लेकिन उस सरकारी राशि का क्या हुआ जो इन सरकारी अधिकारियों ने हड़प ली। इन गोलमाल करने वाले अधिकारियों पर विभाग के द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जिस तरह तुरंत समितियां भंग कर दी गईं थीं उसी तरह इन अधिकारियों को भी निलंबित कर देना चाहिए था क्योंकि पैसा निकालकर इन्हीं अधिकारियों ने बंदरबांट किया है।
समितियों को तो सिर्फ 15 हजार रूपये ही मिल पाये हैं। इस प्रकरण में मजेदार बात यह है कि जिस परिक्षत्र अधिकारी हटा को पूरी राशि दे दी गई थी विभाग ने उसी अधिकारी को जांच हेतु निर्देशित किया, जबकि होना यह चाहिए था कि इस प्रकरण की जांच किसी उच्च स्तर के अधिकारी द्वारा होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हो न सका। आज भी दोनों अधिकारी अपनी डियूटी कर रहे हैं बल्कि श्रीकांत शर्मा का तो प्रमोशन भी हो गया है वे अब एसडीओ के पद पर शहडोल में पदस्थ हैं।
इन्होंने कहा -
मैंने संयुक्त अध्यक्षों के हस्ताक्षर से एक लाख पैंतीस हजार रूपये निकाले थे और सारा रूपया परिक्षेत्र अधिकारी हटा को दे दिया था और वे उसे लेकर हटा चले गये थे।
गनेश प्रसाद चौबे
सहायक परिक्षेत्र अधिकारी सगौनी जिला दमोह
मैंने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस प्रकरण की जांच कर तीनों समितियों को भंग कर दिया है और इस प्रकरण में जो भी अधिकारी दोषी पाया जायेगा उससे राशि वसूली जायेगी।
वन मंडल अधिकारी
जिला दमोह