भोपाल। आज प्रदेशभर के सरकारी कार्यालयों में कामकाज नहीं होगा। राज्य मंत्रालय वल्लभ भवन से लेकर विंध्याचल और सतपुड़ा भवन स्थित कार्यालयों में सन्नाटा रहेगा। कलेक्टोरेट और तहसील कार्यालयों में कर्मचारियो की कुर्सियां सूनी पड़ी रहेंगी। स्कूलों में पढ़ाने के लिए मास्साब नहीं आएंगे।
अस्पतालों में बीमारों की तीमारदारी के लिए पैरा मेडिकल स्टाफ नहीं होगा। यहां तक की साहबों को अपनी गाड़ियां खुद ड्राइव करनी होंगी और दफ्तर पहुंचने के बाद ताला भी खोलना होगा। दरअसल, केंद्र के समान महंगाई भत्ता, समयमान वेतनमान और सेवानिवृत्ति आयु एक समान करने सहित 51 सूत्री मांगों को लेकर अधिकारी व कर्मचारी मंगलवार को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे।
मप्र राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष अमर सिंह परमार ने दावा किया है कि मंगलवार को सरकारी दफ्तरों के ताले भी नहीं खुलेंगे, वे सोमवार को मीडिया से चर्चा कर रहे थे। इस मौके पर तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अरुण द्विवेदी, लघुवेतन कर्मचारी संघ के निहाल सिंह जाट, मंत्रालय कर्मचारी संघ के सुधीर नायक, डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन के संग्राम सिंह बैस, वाहन चालक संघ के साबिर खान, स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के सत्यभान सिंह, सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ के आरपी उपाध्याय आदि ने भी सामूहिक अवकाश की तैयारियों के बारे में जानकारी दी।
कर्मचारियों का कहना था कि 21 दिन पहले ही सरकार को अवकाश के बारे में नोटिस दिया जा चुका है। इसके बाद तीन महीने का समय बीतने के बाद भी सरकार ने कोई पहल नहीं की। इसके चलते मंगलवार को एक दिन का सामूहिक अवकाश लेंगे। सेकंड स्टाप स्थित अंबेडकर पार्क में कर्मचारियों की सभा होगी और इसके बाद मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके बाद भी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो फिर प्रदेशव्यापी हड़ताल शुरु हो जाएगी।
वार्ता के निर्णयों पर नहीं होता अमल
संग्राम सिंह बैस, सत्यभान सिंह और जितेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि कर्मचारी संघों के साथ सरकार के प्रतिनिधि बनकर मंत्री वार्ता तो करते हैं, लेकिन लिए गए निर्णयों पर अमल नहीं करवाते। हर बार कर्मचारियों को वार्ता के बहाने ठगा जाता है। जायज मांगों को पूरा करने के बजाय सरकार का रवैया टाल मटोल वाला बना हुआ है। प्रमोशन पॉलिसी को दरकिनार करने से डिप्लोमा इंजीनियर्स का प्रमोशन लटक गया है, दूसरी ओर सरकार को भ्रामक तथ्य पेश करके चंद अफसर मनमानी करने पर उतारु हैं।