उत्तराखंड सरकार की सर्च रिपोर्ट
भोपाल(उपदेश अवस्थी)। यदि काई कार्पोरेट या सरकारी ऐजेंसी किसी को नंबर 1 कहती है तो उस पर भरोसा करना मुश्किल है। इन दिनों ज्यादातर अवार्ड्स की खुली बिक्री चल रही है। जो खरीद ले अवार्ड उसका, परंतु यदि कोई गवर्निंग अथॉरिटी पूरे देश में सर्च करने के बाद आपके मॉडल को कॉपी करे तो यह वाकई काबिले तारीफ है।
अब उत्तराखंड में भी विभिन्न वर्गो के गरीब व मेधावी छात्र-छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृति की राशि अब सीधे उनके बैंक खातों में जमा होगी। राज्य व केंद्र द्वारा संचालित छात्रवृति योजनाओं में गोलमाल पर अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड प्रदेश सरकार नए शैक्षिक सत्र से यह व्यवस्था लागू करने जा रही है। मध्यप्रदेश की तर्ज पर लागू की जा रही नई पारदर्शी व्यवस्था के लिए कंप्यूटर साफ्टवेयर तैयार किया जा चुका है।
वहां भी राज्य व केंद्र सरकार द्वारा गरीब छात्रों को पढ़ाई जारी रखने को संचालित छात्रवृति योजनाओं में पिछले कुछ वर्षो से भारी गड़बड़ी की शिकायतें सरकार को मिलती रही हैं। खासतौर पर निजी शिक्षण संस्थानों की भूमिका पर इस मामले में लगातार सवाल उठते रहे हैं। ऐसी शिकायतों को बेहद गंभीरता से लेते हुए समाज कल्याण मंत्रालय छात्रवृति वितरण के लिए ठोस व पारदर्शी व्यवस्था लागू करने जा रही है, जिससे गरीब नौनिहालों की छात्रवृति पर नजरें गढ़ाए रखने वाले बिचौलिए पूरी तरह समाप्त होने की उम्मीद जगी है।
मध्यप्रदेश, उड़ीसा व तमिलनाडू मॉडल का अध्ययन करने के बाद सरकार ने उत्तराखंड में मध्यप्रदेश की तर्ज पर ही छात्रवृति आवंटन की ऑनलाइन व्यवस्था करने का निर्णय किया है। समाज कल्याण मंत्रालय ऐसा कंप्यूटर साफ्टवेयर तैयार कर चुका है, जिसके जरिए छात्रवृति योजनाओं के तहत चिन्हित लाभार्थियों का डाटाबेस ऑनलाइन हो जाएगा। साथ ही, छात्रवृति का पैसा भी सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जाएगा।
सचिव समाज कल्याण एस. राजू ने बताया कि जुलाई 2013 से लागू होने जा रही इस नई नई व्यवस्था में निजी शिक्षण संस्थानों में विभिन्न तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए मनमानी फीस दिखाकर छात्रवृति योजनाओं के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने की भी पुख्ता तैयारी की गई है। राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा स्वीकृत फीस के मुताबिक ही विभिन्न पाठयक्रमों के लिए लाभार्थियों को छात्रवृति वितरित की जाएगी।