गंज बासोदा। सामान्यत: पुलिस से बचने के लिए चोर फरार हुआ करते हैं परंतु यहां एक ऐसा मामला सामने आया है जहां चोर के दोस्त नेताओं से बचने के लिए पुलिस अधिकारी फरार हो गए। नेताओं ने थाने पर कब्जा जमा लिया। सरकारी दस्तावेज में बंद अपने मित्र चोर को थाने में ही सारी सुविधाएं मुहैया कराईं, दूसरे दिन अपने तई न्यायालय में पेश करवाया और जमानत करवा ली।
पिछले दिनों पांच मूर्ति चोरों को गंज बासोदा के एसडीओपी श्री धाकड़ ने जब गिरफ्तार किया था तो लगा था कि पुलिस की लाठी में अभी भी दम है। वो केवल गरीब और नर्बलों पर ही नहीं बरसती, शक्तिशालियों पर भी हमले करती है।
लेकिन थोड़ी देर वाद ही नेताओं के फ़ोनों से परेशान एसडीओपी धाकड़ अपना फोन बंद कर अज्ञात स्थान की और रवाना हो गए। इधर एसडीओपी नेताओं से बचने के लिए फरार हुए और उधर नेताओं ने थाने पर कब्जा जमा लिया। देखते ही देखते पुलिस स्टेशन उन पांच चोरों के लिए रेस्ट हाउस बन गया। उन्हें मेहमानों की तरह रखा गया व लगभग सभी व़ीआईपी सुविधाएँ दी गई , विश्व हिन्दू परिषद् एवं पत्रकारों की लोगों की सक्रियता का कोई भी प्रभाव पुलिस के कुछ अधिकारियों पर नहीं पड़ा और तो और कुछ नेताओं के लोगों का आना भी शुरू हो गया, पल पल की खवरें नेताओं तक पहुंचाई जा रही थीं एवं आरोपियों का विशेष ध्यान रखा जा रहा था, जब विश्व हिन्दू परिषद ,पत्रकारों ने अधिक दवाव बनाया तब कहीं जाकर पुलिस ने भोपाल निवासी मो . दानिश , असद वेग, केशर अली ,जीतेन्द्र यादव ,इमरान के खिलाफ सीआरपीसी की धारा ४१ , १ , ४ / १ ० २ एवं ३ ७ ९ के अंतर्गत मामला दर्ज किया, इनमें से एक दानिश विल्डर का सदस्य व एक दुवई निवासी है।
वहीं दूसरी और हाई प्रोफाइल मामले के चलते आरोपियों की जमकर खातिरदारी की जा रही थी, अब धाकड़ का फोन बंद बता रहा था और पूरा का पूरा पुलिस महकमा आरोपियों की खातिरदारी में लगा हुआ था. उन्हें मिनरल वाटर व शीतल पेय तक पिलाये जा रहे थे, यहाँ तक कि पुलिस के कुछ लोगों ने तो हिन्दू नेताओं पर मनो वैज्ञानिक दवाव तक बनाने की कोशिश की व मामले को हलके ढंग से लिया। जब कुछ पत्रकार साथी उस मूर्ति की फोटो लेने की बात कर रहे थे तो एक पुलिस अधिकारी बड़े ही वेमन से यह काम करवा रहा था, यहाँ तक कि मूर्ति गाडी में ही रखी रही, उसे उतारा तक नहीं गया क्योंकि पुलिस को उम्मीद थी, कि गुड विल के चलती मामला सुलझ जाएगा व आरोपियों को सम्मान पूर्वक विदा कर दिया जाता ,यह किस पुलिस अधिकारी के संरक्षण में हो रहा था, यह जांच का विषय है।
जिस सती माता की मूर्ति को ये लोग ले जा रहे थे उसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों में बताई गई है , यह आकलन केंद्रीय पुरातत्व विभाग के संदीप जायसवाल को नहीं था , वे तो स्वयं आरोपियों से सर ,सर कह कर बात कर रहे थे , जब विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल के नेताओं ने उन्हें हडकाया तब कहीं जाकर वे ढंग से बात करने तैयार हुए ., दुसरे दिन इन आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया यहाँ पर भी स्थानीय पुलिस द्वारा उनकी हर प्रकार से खातिरदारी की गई , यहाँ तक कि लस्सी, वीयर तक उपलव्ध कराई गई, मामला हाई प्रोफाइल जो था , जव आक्रोश अधिक बढ़ा तो पुलिस उन्हें वीआईपी की तरह सुरक्षित जेल ले गई क्योंकि न्यायाधीश ने उनको जेल भेजने की व्यवस्था कर दी थी वो तो भला हो विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल के नेताओं का व कुछ जागरूक पत्रकारों व एक सामाजिक कार्यकर्ता का जिनकी सक्रियता से यह मामला न्यायालय तक जा पहुंचा अन्यथा उसी दिन शाम को ही पूरा मामला सुलझा लिया गया था।
इन आरोपियों का महँगी गाड़ी लेंडरोवर में घूमना, और उन्हें इस इलाके की पूरी जानकारी होना इस बात का संदेह भी प्रकट करता है कि इनका ये मूर्ति चोरी का कार्य पुलिस व नेताओं के संरक्षण में लम्वे समय से चल रहा है .जवकि प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान जी की इमानदार सरकार है, इस प्रकार के प्रकरणों से उनकी छवि को बट्टा लगाने का निम्नतम व घ्रणित प्रयास किया जा रहा है, जिसमे नीचे से लेकर ऊपर तक लगभग, बीजेपी के ही, पार्टी के ही मंत्री, नेताओं व पुलिस का भी संरक्षण भी शामिल है, तभी तो नगर में फर्जी गोली काण्ड जैसे काण्ड बैखोफ हो जाते हैं और मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी जांच का खुलासा नहीं हो पाता ....चुनावी वर्ष में इस प्रकार की घटनाएं शुभ संकेत नहीं देती , शिवराज जी को सजगता पूर्वक बासोदा के ऊपर हर प्रकार से विशेष ध्यान देने की जरुरत है।