अध्यापक मोर्चा: सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठा

shailendra gupta
प्रिय मित्रों , एक बार पुन: आम अध्यापक का सादर अभिवादन । आज पुन एक अखवार की खबर पढ़ने के बाद मन विवश हो गया कि आम अध्यापक की कलम से कुछ लिखूं, बात बिल्कुल सही है, सूत न कपास..........

मित्रों अखबार के माध्यम से ज्ञात हुआ कि जो ''अच्छा हो रहा है'', ''हम अच्छा करने प्रयास कर रहे है'' घोषणावीर मुख्यमंत्री ने प्रदेश की हर सभा में अध्यापकों को जो सपने दिखायें थे 'शlयद ये सपने इतने लम्बे है कि इनका फायदा अध्यापकों को मरने के बाद मिले , अगर दैनिक जागरण की खबर में सच्चार्इ का कुछ अंश भी है तो मित्रों एक बार फिर धोखा है, एक बार फिर छलावा है ।

दुख तो तब ओर भी होता है कि हड़ताल के एक माह के बाद भी 3 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला सयुक्त मोर्चा का एक भी नेता मुख्यमंत्री से अध्यापकों की मांगों के सन्दर्भ में चर्चा नही कर पाया l हम पी. एस. से मिलते है l fशक्षा मंत्री से मिलते पर रिजल्ट '0000000'l

मुझे याद है हमारे अध्यापक साथी शिक्षामंत्री से मिले थे। शिक्षामंत्री ने कहा था कि अध्यापकों की मांगों के सन्दर्भ जो होगा वह सिर्फ मुख्यमंत्री महोदय के माध्यम से होगा अन्य कोर्इ भी इस सन्दर्भ में कुछ नही कह पायेगा। मित्रों क्या कारण है कि सरकार अध्यापकों के सन्दर्भ में जो कार्ययोजना बना रही है उस पर अध्यापकों के नेताओं से विचार विमश' सरकार नही करना चाहती ?

क्या कारण है कि सरकार और अध्यापक नेताओं की वार्ता नही हो पा रही है ?
क्या सरकार जानती है कि अध्यापकों में फूट है?
क्या सरकार किसी व्यकित विषेष को श्रेय नही देना चाहती ?
कर्मचारियों के आन्दोलन में होता ये है कि कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिये सरकार
और कर्मचारियों के नेताओं के बीच कर्इ दौर की वार्ता चलती है,कुछ सरकार झुकती है,कुछ कर्मचारी नेता तब जाकर मामला समाप्त होता है और कोर्इ रिजल्ट निकल पाता है ।
परन्तु अध्यापकों के मामले में ऐसा क्यों नही हो रहा है ?

यदि सरकार और अध्यापक नेताओं के बीच फरवरी माह में इस प्रकार की वार्ता हो जाती तो चपरासी से कम वेतन वाले तथाकथित छटवें वेतन में आवश्यक संशोधन हो जाता और हमें शायद इस आन्दोलन की जरूरत नहीं पड़ती। फिर इस कम्युनिकेशन गेप के कारण सरकार
उन पांच बिन्दुओं का आदेश प्रसारित करना चाहती है जिनसे हमको कोर्इ विशेष लाभ नही है ।

सरकार जो कर्इ दिनों से कह रही है कि हम आपके लिये कुछ अच्छा कर रहे है
शायद वो अच्छा ये है ...................

1.समूह बीमा - जिसका लाभ हमें नही मरने के बाद परिवार को मिलेगा । वैसे भी बीमा की की वैल्यू कितनी है , 200 रूपये मैं पांच लाख का बीमा ।

2.अनुकम्पा नियुकित की पात्रता-कर्इ बार इसकी धोषणा हो चुकी है,आदेश प्रसारित हो चुके है नया इतना कि यदि परिवार के सदस्य अनुकम्पा नियुकित के लिये योग्यता नहीं रखते तो सरकारी कर्मचारियों की तरह राषि का नगद भुगतान ।

3.ट्रान्सफर पालिसी -इतनी अपरिभाषित शर्ते कि 20 फीसदी अध्यापकोें को ही फायदा ।

4.शासकीय सेवाओं में छूट की पात्रता - 5 फीसदी अध्यापकों को ही कुछ लाभ

5.राज्य सेवा का गठन वारिष्ठ अध्यापकों को हार्इस्कूल प्राचार्य पर विचार -हो सकता है कि आर्इ.ए.एस. आधिकारी प्राचार्य कर्मी जैसे पद का सृजन करें या मामला दो तीन विभाग के बीच दम तोड़ दे ।

मित्रों क्या हम इन्ही पांच बिन्दुओं के आदेश के लिये मुख्यमंत्री की तरफ आशl भरी निगाहों से देख रहे थे । ज्यादा से ज्यादा कमेंट करें एवं हमारी बातों को आम अध्यापक तक प्रेषित करें ।
दुर्गा माता हमारे नेताओं को सदबुद्धि दे कि वे इस दंभ मे
('' मैं 3 लाख अध्यापकों का नेता हूं ),इस भ्रम को त्याग कर मुख्यमंत्री महोदय तक पहुंचे एवं वार्ता कर हमारी एकसूत्रीय मांग''एक काम,एक नाम व एक दाम (fशक्षा विभाग में संविलयन ) को पूर्ण करवाने में सहयोग प्रदान करें
धन्यवाद ।

अनिल नेमा
आम अध्यापक

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