भोपाल। 1973 में उसकी उम्र महज 15 साल थी। वो नाबालिग युवती थी और अपाहिज भी। होशंगाबाद में नर्मदा नाराज हुईं और बाढ़ आ गई। सैंकड़ों लोग इस बाढ़ में फंस गए। बड़ा ही भयावह दृश्य था, मदद के लिए सेना बुलाई गई। सेना के जवान भी परेशान हो रहे थे। इसी भीड़ में वो अपाहिज एक नाव लेकर बाढ़ में कूदी और एक दो नहीं पूरे 150 लोगों की जान बचाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उसे भारत का पहला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया।
इतना ही नहीं इस पुरस्कार के साथ इन्दिरा गांधी ने सरस्वती को आजीवन पैंशन, जिन्दगी भर मुफ्त रेल यात्रा, खेती के लिए 10 एकड़ भूमि तथा रहने के लिए मकान बनाकर देने की घोषणा की लेकिन घोषणा के 38 साल बाद भी उसे वो पेंशन, रेलपास, खेत और मकान नहीं मिल पाए हैं।
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित एक कार्यालय के पास बनी झोंपड़ पट्टी नुमा मकान में रहने वाली 15 वर्षीय सरस्वती ने आई भीषण बाढ़ में 150 लोगों की जिन्दगी बचाई थी। उसने अपनी जान को खतरे में डालकर एक छोटी सी नाव के सहारे नर्मदा की लहरों से लड़ते हुए लगातार 9 घंटे तक लोगों की जिन्दगी बचाने में लगी रही।
राहत कार्यों में जुटे सेना के जवानों ने सरस्वती के इस साहस को कैमरे में कैद कर लिया। नन्ही सरस्वती के जज्बे को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी भी प्रभावित हुईं। उन्होंने सरस्वती को देश का पहला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया था। यही नहीं उसका उपनाम साहसी भी रखा था। इस मौके पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने सरस्वती को आजीवन पैंशन, जिन्दगी भर मुफ्त रेल यात्रा, खेती के लिए 10 एकड़ भूमि तथा रहने के लिए मकान बनाकर देने की घोषणा की थी।
सरस्वती आज 52 साल की हो गई है लेकिन इन 38 सालों में न जाने कितने अधिकारी होशंगाबाद में आए मुख्यमंत्री भी आए लेकिन किसी ने भी इन्दिरा गांधी की घोषणा पर अमल आज तक नहीं हुआ। यही नहीं सरस्वती के हक में घोषणा करने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री भी अपनी घोषणा को भूल गईं और उन्होंने मुड़कर सरस्वती की ओर नहीं देखा। पिछले कई सालों से सरस्वती इन घोषणाओं को हासिल करने के लिए कलेक्टरों के आगे नाक तक रगड़ चुकी है लेकिन किसी ने भी उस पर रहम नहीं किया।
सरस्वती को मकान के लिए जो प्लाट दिया था, वहां अब नगर निगम ने सड़क बना दी है। साहसी सरस्वती नाम पर एक फिल्म बनाई थी जिसे दूरदर्शन पर दिखाया। यही नहीं इस फिल्म का प्रचार भी किया लेकिन सरस्वती की हालत आज भी जस की तस बनी हुई है। आज भी सरस्वती के पास देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी का भेजा गया पत्र पड़ा है जिस पर यह लिखा है कि सरस्वती सारे देश को तुम पर गर्व है लेकिन इन्दिरा गांधी ने जो घोषणाएं कीं वह सरस्वती को नहीं मिलीं।