इन्वेस्टर्स के काम में अड़ंगे लगाने वाले IAS प्रभांशु कमल की विदाई

भोपाल। प्रदेश में निवेशकों को खुश करने के लिए अडंगेबाजी सरकार पर सरकार ने सख्ती का रुख अपना लिया है। ऐसे अफसरों को तबादले की मार झेलना पड़ रही है। फिर चाहे वह अफसर चाहे कनिष्ठ हो या वरिष्ठ। राजस्व विभाग के प्रुमख सचिव प्रभांशु कमल की विदाई के पीछे भी यही कहानी उभरकर सामने आ रही है।

एक ओर जहां राज्य सरकार निवेशकों को रिझाने के लिए लाल कारपेट बिछाकर स्वागत करने में जुटी हुई है वहीं दूसरी ओर प्रदेश के कुछ आला अफसर निवेशकों की राह में रोड़ा अटकाने में लगे हुए हैं। ऐसे ही एक मामले की शिकायत आने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्काल प्रभाव से राजस्व विभाग से प्रमुख सचिव प्रभांशु कमल को चलता कर दिया। महान कोल ब्लाक के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर कहा था कि पिछले छह माह से उनके जमीन हस्तांतरण के प्रस्ताव को बेवजह कागजों में इधर से उधर घुमाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने जब इस मामले में जानकारी ली गई तो पता चला कि कलेक्टर सागर योगेन्द्र शर्मा ने लैंड बैंक की भूमि से एक हजार हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को पहले ही भेज दिया था। प्रमुख सचिव कमल ने उक्त प्रस्ताव में ढेरों कमियां बताते हुए इसे 23 मार्च को लौटा दिया।

निवेशकों के प्रस्ताव को बेवजह उलझाने की बात सामने आने पर मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव कमल को तत्काल प्रभाव से हटाकर सकारात्मक सोच वाले अफसर को पदस्थ करने के निर्देश दिए। उनके स्थान पर प्रमुख सचिव आरके चतुर्वेदी को स्पष्ट तौर पर समझाकर भेजा गया कि निवेशकों के प्रस्तावों को बगैर कोई आनाकानी के जल्द से जल्द आगे बढ़ाया जाए।

सूत्रों का कहना है कि चतुर्वेदी ने राजस्व विभाग का प्रभार संभालते ही अपने अधिनस्थों की बैठक बुलाकर साफ हिदायत दी कि निवेशकों के जमीन आवंटन या हस्तांतरण मामलों में बेवजह अडं़गेबाजी ना की जाए।

उल्लेखनीय है कि 2008 में हिंडाल्को एवं एस्सार पावर ने सिंगरौली में पावर प्लांट लगाकर राज्य को सस्ती दर पर बिजली देने का एमओयू किया था। उस समय कोल लिंकेज के मामले में वन भूमि हस्तांतरण के मामले राजस्व विभाग की तत्कालीन प्रमुख सचिव स्नेहलता श्रीवास्तव और सागर के तत्कालीन कलेक्टर हीरालाल त्रिवेदी ने सागर में लगभग एक हजार हैक्टेयर भूमि चिन्हित कर वन भूमि के बदले में देने की सहमति जताई थी।

केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 29 अक्टूबर 2012 को महान कोल ब्लाक को सिंगरौली में 1182.351 हेक्टयेर वन भूमि के बदले वृक्षारोपण के लिए 967 हेक्टेयर भूमि सागर में मिलने के भरोसे पर कोल लिंकेज की स्टेज-एक की अनुमति भी दे दी थी। इसी बीच तेजी से बिजली संयंत्र तैयार हो गया पर कोल लिंकेज वैकल्पिक जमीन नहीं अभी तक नहीं मिल सकी।

आदित्य बिरला गु्रप की महान कोल ब्लाक के भूमि हस्तांतरण के प्रकरण को जल्द निपटाने के मामले में मुख्यमंत्री ने 12 फरवरी राजस्व विभाग के अफसरों को अल्टीमेटम दे चुके थे। उन्होंनें स्पष्ट तौर पर कहा था कि जितनी जल्दी यह प्रोजेक्ट पूरा होगा उतना प्रदेश के लिए अच्छा है।

मुख्यमंत्री ने कहा था कि वर्तमान में हमें चार रुपए प्रति यूनिट से बिजली खरीदना पड़ रही है। इस पावर प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद हमें एक रुपए प्रति यूनिट पर बिजली मिलना शुरू हो जाएगी। कोल लिंकेज में विलंब के चलते मप्र की बिजली कंपनियों को हर दिन 15 करोड़ की चपत लग रही थी। मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव प्रभांशु कमल को सुस्त गति से उबरने काम की गति बढ़ाने की हिदायत दी थी। लेकिन वैकल्पिक भूमि के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के बजाए सागर कलेक्टर के प्रस्ताव में कमल खामी निकालते रहे।


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