भोपाल। भाजपा की नेशनल टीम के निर्देशों के बावजूद मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की लगातार टल रही रथयात्रा की तारीख अंतत: तय हो ही गई। यह यात्रा 15 मई से होगी और मजेदार यह है कि रथ में कोई नहीं होगा। जी हो, कोई नहीं, ना तो नेता और ना ही अधिकारी।
सनद रहे कि मध्यप्रदेश में भाजपा और शिवराज सिंह चौहान के सरकारी मैनेजर्स इस मामले में एकराय हैं कि वोट जुगाड़ने की जादूगरी केवल शिवराज सिंह चौहान के नाम पर ही दिखाई जा सकती है। जनता अपने विधायकों से नाराज है और यदि शिवराज की रथयात्रा या सभाओं में विधायक साथ रहे तो नेगेटिव इफेक्ट जा सकता है। बस यही कारण था कि मध्यप्रदेश में रथयात्रा की शुरूआत ही नहीं हो पा रही थी।
परंतु अब एक फार्मूला तय हो गया है और 15 मई से 150 रथ प्रदेशभर में घूमेंगे। इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि चमकाने और सरकारी योजनाओं के जरिए विकास का गुणगान किया जाएगा। आधुनिक तकनीक से सुसज्जित यह रथ तीन माह तक मुख्यमंत्री का संदेश ‘सबके साथ, सबका विकास’ के जरिए जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार करेंगे। खास बात यह है कि इन रथों में न तो कोई नेता होगा, न ही अधिकारी।
सूत्रों का कहना है कि शासन व पार्टी स्तर पर लंबी माथापच्ची के बाद इस फार्मूले को अपनाया जा रहा है, ताकि आचार संहिता लगने से पहले विधायकों के प्रति जनता की नाराजगी को कुछ हद तक कम किया जा सके। पार्टी नेताओं का कहना है कि हाल ही में एक सर्वे यह आंकड़े आए थे कि बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 57 सीटें ऐसी जीती थीं, जिसमें हार-जीत का अंतर 1000 से 5000 मतों का था।
पार्टी का मानना है कि इन क्षेत्रों में मुख्यमंत्री के विकास कार्य और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का ही प्रचार कर दिया जाए तो स्थिति कुछ सुधर सकती है। इसके अलावा अन्य सीटों पर भी इसका फर्क पड़ेगा, साथ ही जो सीटें कांग्रेस के खाते में हैं, वहां भी माहौल अभी से परिवर्तित हो सकेगा। इसी प्रकार कांग्रेस ने जो सीटें कम अंतर से जीती हैं, वहां भी भाजपा की जीत की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।