इन 400 संविदा शिक्षकों के साथ हमेशा होता है काफिरों सा सलूक

भोपाल। सतना जिले में कार्यरत 400 अध्यापकों एवं संविदा शिक्षकों के साथ 2002 से लगातार काफिरों सा व्यवहार किया जा रहा है। पूरे तीस दिन नौकरी बजाने के बाद जब वेतन की बारी आती है तो इन 400 अध्यापक हमेशा वेटिंग लिस्ट में चले जाते हैं, फिर शुरू होती है एक लम्बी कागजी लड़ाई जो खत्म होते होते ही हो पाती है।

वर्ष 2002 में सतना जिले के तीन संकुल केंद्र(आहरण संवितरण कार्यालय) शासकीय हाई स्कूल गुझुआ(DDO-> 3402506004), शासकीय हाई स्कूल गौहानी((DDO-> 3402506005) ) शासकीय हाई स्कूल पहाडी(DDO-> 3402506003) का संविलियन आदिवासी कल्याण विभाग से शिक्षा विभाग में किया गया था।

इन तीन संकुल केंद्र(आहरण संवितरण कार्यालय) में लगभग 400 अध्यापक/संविदा वर्ग के शिक्षक कार्यरत है। इन 400 अध्यापक /संविदा वर्ग के शिक्षक की दिक्कत यह है की देर सवेर जब भी अध्यापको/ संविदा शिक्षको के वेतन हेतु जिले में बजट का आवंटन होता है तो ये तीनो संकुल केंद्र(आहरण संवितरण कार्यालय) हमेशा छूट जाते है।

यहाँ के अध्यापको/ संविदा शिक्षको को दर-दर की ठोकर खानी पड़ती है। चूंकि इनका बजट अलग होने के कारण संकुल केंद्र (आहरण संवितरण कार्यालय) अथवा जिला शिक्षा कार्यालय के कोई कार्य प्रभावित तो होते नहीं अतः इन अध्यापको/ संविदा शिक्षको के बजट की व्यवस्था कराने में भी आनाकानी इन्ही कार्यालयों से होती है।

देर सवेर विनती प्रार्थना पश्चात यदि इन कार्यालयों ने भोपाल के संयुक्त संचालक (वित्त), लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिख भी दिया तो भोपाल का यह कार्यालय दो- तीन और स्मरण पत्र दिए वगैर कार्य नहीं करता है। यहाँ संकुल केंद्र (आहरण संवितरण कार्यालय) अथवा जिला शिक्षा कार्यालय में जाओ तो कहते है की हमने तो अपने यहाँ से कर दिया अब भोपाल जाओ।

हमेशा से अध्यापको/ संविदा शिक्षको को को उम्मीद होती है की अब शायद सब ठीक हो जाये, लेकिन वर्तमान में भी यहाँ के अध्यापको/ संविदा शिक्षको को तीन माह से वेतन नहीं मिला है। क्या इस समस्या के निदान हेतु संकुल केंद्र (आहरण संवितरण कार्यालय) , जिला शिक्षा कार्यालय, संयुक्त संचालक (वित्त), लोक शिक्षण संचालनालय जवाबदार नहीं है? यदि यह लोग जवाबदार तो फिर कौन है जवाबदार?

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