अनिल नेमा। मित्रों अप्रैल से प्राप्त त्रुटिपूर्ण, असंगत वेतन जिसे लोग छंटवा वेतनमान की संज्ञा दे रहे हैं उस वेतनमान में संशोधन का हम विरोध करते हैं। सरकार से हमारी मांग है कि इस वेतनमान को वापस ले कर अप्रैल से नियमित शिक्षकों को जो 6 वां वेतनमान दिया जा रहा है उसे अध्यापक के लिये लागू करे।
अप्रैल से प्राप्त वेतनमान में क्रमोन्नत वेतनमान का कोई उल्लेख नहीं है,सहायक अध्यापक,अध्यापक व वरिष्ठ अध्यापक तीनों को प्राप्त वेतन लगभग एक सा है जो तर्क संगत नहीं है। खास बात ये भी है कि यह वेतनमान राज्य सरकार के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन से भी असंगत है। कुछ लोग जिन्होनें चपरासी से कम वेतन वाले वेतन को लागू करवाने में फटाका जलाये थे, खुशी मनाई थी। अब प्रेस विज्ञाप्ति के माध्यम से इसमें संशोधन 1.62 की जगह 1.86 व ग्रेड पे में संशोधन की बात कर रहे है।
मित्रों इस वेतनमान में यदि ये दो संशोधन होते है तो भी हमें इसका विरोध करना है। हमारा उदेश्य एक है कि जो 6वा वेतनमान 2009 से नियमित शिक्षक को प्राप्त हो रहा है, वही हुबहू हमें प्राप्त हो।
अप्रैल से प्राप्त वेतनमान में पुराने साथियों का तो ज्यादा अहित नहीं है परन्तु नया संविदा साथियों एवं अप्रैल के बाद जिनका संविलयन हो रहा है उनका बहुत आर्थिक शोषण है। इसके अलावा इस असंगत वेतन में यदि ग्रेड व अन्य संशोधन हो भी जाता है तो भी 3 साल बाद जब 7वे वेतन का निर्धारण होगा तो हमें फिर आन्दोलन व संघर्ष करना पड़ेगा और यही सरकार व अध्यापक नेता चाहते है कि ‘‘दुकान चलती रहे ’’ इस कारण हमें अप्रैल से प्राप्त वेतनमान में संशोधन को सिरे से नकारते हुये शिक्षकों के समान 6वा वेतनतान जो छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मियों को प्राप्त हो चुका है वही वेतनमान प्राप्त करने के लिये संघर्ष करना है तथा अध्यापक विरोधी व सरकारप्रेमी,चाटुकारिता में संलग्न अध्यापक नेताओं से सावधान रहना है अन्यथा हम तो 17 साल से शोषित है हमारे नये साथियों को भी अपनी आधी जिन्दगी संघर्ष करना पडे़गा एवं संविदा साथी ऐसे अध्यापक नेताओं को कभी माफ नही करेगें।
भाई यदि राजनीति का ज्यादा शौक है तो विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा लो क्यों गरीब अध्यापकों के पेट के साथ खिलवाड़ कर रहे हो ?
साहिर लुधियानवी का शेर याद आता है .......
कभी ख़ुद पे, कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया !
अनिल नेमा
आम अध्यापक