भोपाल। भारत की अति प्राचीन खेल विधा मलखम्ब को मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य खेल घोषित कर दिया है। इस संबंध में खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है। यह सूचना मध्यप्रदेश राजपत्र में भी प्रकाशित हो गई है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मार्च माह में आयोजित मंत्री परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया था। प्रदेश में 14 मलखम्ब केन्द्र इंदौर, खरगोन, उज्जैन, बैतूल, दतिया, पन्ना, रतलाम, शाजापुर, शिवपुरी, ग्वालियर, टीकमगढ़, जबलपुर, छतरपुर एवं सागर में संचालित हैं।
मलखम्ब भारत का एक पारम्परिक खेल है, जिसमें खिलाड़ी लकड़ी के एक खम्बे या रस्सी के ऊपर तरह-तरह के करतब दिखाते हैं। राष्ट्रीय स्पर्धा में इसके तीन प्रकार प्रचलित हैं।
फिक्स्ड मलखम्ब (केवल पुरुषों के लिये)
फिक्स्ड (स्थायी) मलखम्ब में जमीन पर स्थापित सागोन या शीशम की 10 से 12 फीट ऊँची तथा नीचे से 5 से 6 इंच और ऊपर से 1.5 से 2 इंच व्यास की लकड़ी पर करतब दिखाया जाता है।
हेंगिंग मलखम्ब (केवल पुरुषों के लिये)
यह फिक्स्ड मलखम्ब का छोटा संस्करण कहा जाता है। इसमें आमतौर पर संतुलन अभ्यास का प्रयोग किया जाता है। लकड़ी के पोल पर एक हुक तथा चेन की मदद से जमीन से 3.5 से 4 फीट की ऊँचाई पर एक दूसरी लकड़ी को लटकाया जाता है तथा उस पर खिलाड़ियों द्वारा मलखम्ब किया जाता है।
शेप मलखम्ब
प्रमुख रूप से महिला खिलाड़ियों के लिये प्रयुक्त यह मलखम्ब का एक आधुनिक प्रकार है। इसमें रस्सी के सहयोग से विभिन्न योगिक मुद्राओं को दर्शाया जाता है।
मलखम्ब की पहचान
उन्नीसवीं शताब्दी में पेशवा बाजीराव-II के गुरु श्री बालम भट्ट दादा देवधर ने इस विधा को एक नई पहचान दी। सन् 1958 में पहली बार नेशनल जिमनास्टिक चेम्पियनशिप के तहत मलखम्ब को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शामिल किया गया।