भोपाल। सिंधिया राजपरिवार के बहुचर्चित हिरणवन कोठी मामले में उच्च न्यायालय ने सिंधिया परिवार के विरूद्घ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया है।
सोमवार को उच्च न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनकी मां माधवी राजे सिंधिया, बहन चित्रांगदा राजे सिंधिया सहित आठ लोगों के विरुद्ध अवमानना का नोटिस जारी कर चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।
क्या है मामला
1983 में माधवराव सिंधिया ने अपनी माता राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सचिव सरदार संभाजीराव आंग्रे को उनके कब्जे वाली सिंधिया रियासत की हिरणवन कोठी से बलपूर्वक बेदखल कर अपने कब्जे में ले लिया था।
इस कोठी से बेदखल हुए सरदार आंग्रे न्यायालय की शरण में पहुंचे थे, न्यायालय के आदेश पर सिंधिया एवं उनके सहयोगियों पर डकैती का मामला भी दर्ज हुआ था।
आदेश का उल्लंघन
साल 2005 में न्यायालय ने इस मामले में स्थिति को यथावत रखने के निर्देश दिए थे, लेकिन न्यायालय के निर्देशों की अवमानना करते हुए सिंधिया परिवार ने कोठी की बाउंड्रीवाल बनवा दी।
इसी मामले को लेकर सरदार आंग्रे की पुत्री चित्रलेखा आंग्रे उच्च न्यायालय की शरण में पहुंचीं, जहां सोमवार को उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच के न्यायमूर्ति एके शर्मा ने सिंधिया परिवार को न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया।
जिन अन्य लोगों को नोटिस जारी किया गया है उनमें पूर्व मंत्री केपी सिंह, कांग्रेस नेता राजेंद्र सिंह तोमर, शरद शुक्ला और पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष अशोक शर्मा भी शामिल हैं। इनमें से शरद शुक्ला की मृत्यु हो चुकी है।