राकेश दुबे@प्रतिदिन। क्या एनडीए के संयोजक शरद यादव सचमुच मुगालते में थे और पवन बंसल के पक्ष में बोल रहे थे और अब उनका स्वर बदल गया है। अब उनका मानना है कि बंसल परिवार की समृद्धि यूँ ही नहीं बड़ी है।
शरद यादव मध्यप्रदेश से हैं, और छात्र राजनीति का धारदार शरद यादव अब बजरिये बिहार एक सुविधा की राजनीति करने वाला राजनेता है। यह कहना की उनके पहले बयान के समय उन्हें जानकारी नहीं थी, बात गले नहीं उतरती।
सच यह है की शरद यादव सुविधा का संतुलन साध रहे थे। जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के बाद वे सुविधा का संतुलन साधते-साधते वे यहाँ तक पहुंचे हैं। आपातकाल के पूर्व जबलपुर के श्याम टाकीज के चौराहे पर जिस युवा में सम्भावना दिखाई देती थीं, वह समय के साथ इतना बदल जायेगा, किसी को उम्मीद नहीं थी, ख़ैर!
भारत में राजनीति का जो दौर चल रहा है, वह सुविधा की राजनीति करने वालों के लिए सर्वोत्तम दौर है। कांग्रेस और भाजपा दोनों को ऐसे लोगों की आवश्यकता है, जो समय के साथ कभी, यह कभी वह समझ सकें और समझा सकें। यूपीए के बिखरने की शरद यादव की भविष्यवाणी भी इसी प्रकार की है, वे और उनके साथी एनडीए में भी बने रहने चाहते हैं और कांग्रेस की तथाकथित धर्म निरपेक्षता के कायल भी हैं। अभी चुनाव दूर है तब तक उनका दल भी इधर-उधर भी बँट सकता है। प्रधानमंत्री के मुद्दे पर उनके यहाँ दो राय हैं।