भोपाल। राज्य अध्यापक संघ के सचिव प्रदीप गौर ने अध्यापकों का आह्वान किया है कि मध्यप्रदेश को हमारी जरूरत है, प्रदेश में बलात्कार और अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं इसलिए शिक्षक होने का अपना धर्म निभाने का समय आ गया है। स्कूलों के अलावा अब समाज को भी संस्कार पढ़ाने होंगे।
श्री गौर ने भोपालसमाचार.कॉम को लिखे अपने विचारों में व्यक्त किया है कि प्रातः जब कुछ खुश खबर या तजा खबर की उम्मीद में अखवार उठाते है और हर पेज पर रेप मारकाट धोखा रिश्वत की खबर पड़ने को मिलती है तो अंतर्मन करह उठता है हम सोचने को मजबूर हो जाते है की क्या हम राम कृष्ण के ही वंशज है या रावण और कंश के मुझे नहीं लगता की इतनी बर्बरता किसी अन्य युग में हुई हो अगर हुई भी हो तो उस युग और आज के युग में कम से कम शिक्षा का अंतर तो है ही फिर भी आज हम क्या कर रहे है क्या हम साडी नैतिकता भूल गए है क्या हमारे घर समाज रिश्तेदारों स्कूल शिक्षक इतिहास धर्म ग्रन्थ लोककथाएं हमें यही शिक्षा दे रही है
जब हम अपने आस पास के माहोल को देखते है तो अजीब सा डर लगने लगता है आज जब सरकार लाडली लक्ष्मियों के लिए अनेक योजनायें चला रही है उस समय बेटियों के साथ बुरा बर्ताव समाज को कटघरे में खड़ा करता है आज हर माँ बाप जिसकी बेटी है अनजाने डर से ग्रसित है उसे सांत्वना देने वाला कोई नहीं है सोचकर हैरानी होती है की समय का यह पहलु कितना तकलीफ देने वाला है मेरे विचार से आज रामायण और गीता की हमारी संस्कृति की अमर शहीदों के बलिदानों की शिक्षा देने का समय आ गया है और इसकी शुरुआत सरकार के भरोसे नहीं हमें खुद अपने भरोसे करना होगी अपने घर से परिवार से समाज से अपने से जुड़े लोगों से चर्चा करके बच्चों को संस्कारवान बनाने की प्रक्रिया आज से ही आरम्भ करना होगी अन्यथा यह कुसंस्कार का दैत्य हमें निगलने में देर नहीं करेगा
प्रदीप गौर
सचिव
राज्य अध्यापक संघ
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