आम अध्यापको से अपील: सरकार और नेताओं का भ्रम तोड़ दो, भोपाल चलो

मनोज मराठे। प्रिय अध्यापक साथियो। बड़े हर्ष का विषय है कि हमारे पड़ोसी राज्य में हमारें शिक्षाकर्मी बंधुओं को वहां कि रमन सरकार ने वहां के अध्यापकों की लंबी लडाई और अनेक साथियों की शहादत के बाद समान कार्य समान वेतन देने के साथ अध्यापको को प्रधानपाठक व प्राचार्य के पद पर पद्दोन्नत करने की सभी मार्ग खोल दिए किंतु हमारे प्रदेश की सरकार हमें हडताल के बाद दिन प्रतिदिन केवल ’देंगे और दे देंगे‘ के नाम पर झुला रही है।

क्योंकि प्रदेश सरकार यह समझ रही है कि हडताल के टूटने के बाद संगठित अध्यापक संवर्ग बिखर चुका है। इनकी एकता भंग हो चुकी है और गुटबाजी विकराल रूप ले चुकी है। किंतु ऐसा नही है। हमारे नेताओ में गुटबाजी हो सकती है। उनकी एकता खंडित हो गई होगी किंतु प्रदेश का एक एक आम अध्यापक वर्ग के भाई बहन आज एकमत है।

जिसकी मिसाल हम रोज किसी न किसी बहाने से भोपालसमाचार.काम और फेसबुक पर देखते है। यह बात और है कि प्रदेश का आम अध्यापक खामोश है कमजोर नही उसकी चुप्पी को कमजोरी नही कही जा सकती।

हमारे नेता चुप्पी साधे है ऐसा नही की उन्होने हमारे लिए कुछ नही किया उनके संघर्ष को हम कभी नही भुल सकते उनकी खामोशी की अपनी कोई मजबूरी होगी परंतु साथियो छत्तीसगढ में शिक्षाकर्मियों की जीत वहा कें संगठनों की और अध्यापकों की एकता का परिणाम है।

उसी रणनीति को अपनाते हुए हम सभी आम अध्यापक भाईयों को पूरे प्रदेश में एकजूट होकर हमारी एकता और ताकत दिखाने के लिए एक दिन के लिए भोपाल में धरना देना पडेगा ताकि हमारे नाम पर राजनीति और गुटबाजी करने वाले नेताओ और संगठनो के पदाधिकारीयों का भ्रम दूर हो जाये कि प्रदेश के आम अध्यापक अबला है और आप पर निर्भर है।

हमारे प्रदेश का एक-एक अध्यापक शोषित है पर असंगठित नही। चाहे गुरूजी हो संविदा अध्यापक हो या शिक्षाकर्मी सभी चाहते है समान कार्य समान वेतन, और संविलियन किंतु समय बीतता जा रहा है। चुनाव की आचारसंहिता कभी भी सरकार की घोषणा पर ग्रहण लगा सकती है तो दूसरी ओर आंदोलन के बाद सरकार हमें असंगठीत और कमजोर समझ रही है। ऐसा प्रतित हो रहा है।

वरना छतीसगढ की घोषणा के बाद हमें भी तोहफा मिल जाता। हमें हमारें नेता और सरकार का भ्रम तोडना है और इसके लिए मेंरी प्रदेश के एक एक गुरूजी संविदा शिक्षक और अध्यापक बंधुओ से अपील है कि प्रत्येक जिले में अध्यापक मोर्चे और सभी संगठन मीटिंग का आयोजन कर मई के अंतिम सप्ताह या मई के प्रथम सप्ताह में एक दिन का भोपाल चलो धरना आंदोलन की तिथी तय करें।

जहा समान कार्य समान वेतन और संविलियन की मांग को बुलंद करते हुए हमारी एकजुटता दिखाना बहुत जरूरी है। वरना आचारसंहिता लागू हो गई तो हमें बहुत पछताना होगा। जिसे हमारी आवश्यकता अभी है हमारी सुध नही ले रहा है बाद की क्या ग्यारंटी है। आप लोग मेरा इशारा समझ गये होंगे।

आपका
आम अध्यापक
मनोज मराठे
9826699484

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कृते
संपादक


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