राकेश दुबे@प्रतिदिन। बड़ी मुश्किल से पिछले मामलों का निपटारा हुआ और वरुण गाँधी भाजपा की राजनीति की मुख्य धारा में आये। भाजपा के भीतरी सूत्र कल की स्वाभिमान रैली में हुए वरुण के भाषण को लेकर बस एक ही बात कह रहे हैं - "बेचारा वरुण कुछ नहीं जानता। " सबसे पहले वरुण और बेचारगी।
सबको पता है कि संजय और मेनका का यह बेटा अपनी माँ के साथ कांग्रेस के शक्ति पुंज से बाहर है, क्योंकि कांग्रेस अपनी यात्रा में स्व.संजय गाँधी और उनके योगदान को याद रखना नहीं चाहती। अब भाजपा में आने का कारण या लाये जाने का कारण भी पूरी तरह राजनीतिक है। सब जानते हैं, वाही वंशवाद।
जैसे ही राजनीति में वरुण आये उनकी दृष्टि उस विषय पर गई जिसे लेकर चर्चित हुआ जा सकता था। पर दांव उल्टा बैठ गया और अदालती चक्कर से बमुश्किल छुटकारा मिला। अब राजनाथ सिंहजी की तारीफ में कशीदे पढ़ रहे हैं, कांग्रेस की भांति। कल उन्होंने देश के सबसे अधिक ईमानदार राजनेता के विशेषण से राजनाथ जी को नवाज़ दिया है। पूरे उत्तर प्रदेश में राजनाथ जी के परिवार की चर्चा है, कोई भी उनके पुत्र मोह की बात करता दिखाई देता है।
जनाधार के मामले में भी विधानसभा चुनाव में हार राजनाथ जी के खाते में लिखी है। राजनीति में किससे कैसे निपटना है इसमें सिद्धहस्तता का बयान कल्याण सिंह गाहे बगाहे करते हैं। बड़े उद्ध्योग घरानों से सम्बन्ध के मामले में सहारा का हवाई जहाज और विधायक विषय खूब चर्चित हुआ था। नितिन गडकरी के बदले में वे सिर्फ इसलिए वापिस हुए की उनके बदले में नितिन गडकरी लाये गये थे। ख़ैर ! वरुण को बहुत ज्यादा पता नहीं है, इस कारण कह बैठे होंगे, वैसे कोई किसी को अपना आदर्श माने न माने मामला व्यक्तिगत है।