भोपाल। मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य केन्द्रों के हालात क्या हैं किसी से छिपे नहीं हैं, लेकिन दमोह जिले का पथरिया स्वास्थ्य केन्द्र पिछले रोज अचानक चमक उठा। शाम तक वो सरकारी ही था परंतु सुबह देखा तो लोगों ने दातों तले उंगलियां दबा लीं। सारे कर्मचारी मौजूद थे, पर्ची बन रहीं थीं, दवाएं मिल रहीं थीं वो भी अच्छी क्वालिटी वाली और सबकुछ मुफ्त।
दरअसल यह सबकुछ हुआ एक दहशत के कारण। मध्यप्रदेश शासन के लोकस्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीण कृष्ण विगत दिवस दमोह जिले के दौरे पर रहे। जैसे ही पथरिया बीएमओ को खबर लगी की वह पथरिया भी आ सकते है वैसे ही बीएमओ द्वारा युद्ध स्तर पर तैयारिया शुरू कर दी गईं।
रातों रात स्वास्थ केन्द्र में पुताई, रंगाई, लिखाई, बोर्ड लगायें, पलंगों पर चादर डाली गई, जननेटर की पूरे में फिटिंग कराई गई, पर्दे, पखें, कूलर लगाये गयें रातों रात ऐसी व्यवस्था बनाई गई जिसने भी दूसरे दिन अस्पताल का देखा तो वह चकित रह गया। रात में ही करीब दो बोरी दवांईयां भी जलाई गई।
वही कई कर्मचारी जो कभी कभार आते थे वह रात्रि में भी स्वास्थ केन्द्र में दिखाई दिये वहीं एक दिन के लिये अप-डाउन करने वाले कर्मचारी को परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि अभी तक तो वह शपथ पत्र देने के बाद भी अप डाउन करते रहें उनके लिये कुछ ज्यादा डरावना लगा जिसके कारण वह एक दिन रूक गये।
वहीं खास बात यह रही कि उस दिन ओपीडी, भर्ती पर्ची को भी फ्री कर दिया। जो दंवाईया कभी देखने को नही मिलती वह मरीजों को बाटी गई। वैसे हम आप को बता दें कि हमारे बीएमओ इतने कभी नही डरे किसी अधिकारी से जितना डर उनको प्रमुख सचिव के दौरा से है।
बीएमओ पथरिया वैसे कभी भी कोई टीम आ जायें सिर्फ वह एक दिन का समय दें दे तो मानों बीएमओ ऐसी चाक चैबंद व्यवस्था कर लेते है कि जो भी आये वह नाराज तो नही हो सकता है। वही प्रमुख सचिव का दौरा क्या होना था कि जमकर खरीददारी की गई।
और अंतत: प्रमुख सचिव नहीं आए, लेकिन भला हो ऐसे अफसरों का जिनकी आहट से ही सही एक दिन रामराज्य तो स्थापित हुआ, भले ही दूसरे दिन से फिर वही ढाक के तीन पात।