भोपाल। शादी समारोह में होने वाली फिजूलखर्ची को रोकने के लिए दाउदी बोहरा समाज ने दो बड़े फैसले किए हैं। पहला यह कि अब समाज में होने वाले शादियों के निमंत्रण पत्र नहीं छपेंगे। रिश्तेदारों व परिचितों को एसएमएस और ई-मेल के जरिए न्योता दिया जाएगा। दूसरा, स्नेह भोज (रिसेप्शन) में अधिकतम दो तरह की मिठाई रखी जाएगी। अगर आइस्क्रीम शामिल है, तो एक ही प्रकार की मिठाई रहेगी। सजावट पर भी ज्यादा खर्च करने की मनाही है।
समाज के आमिल जोहेर अमानत अली ने बताया कि धर्मगुरु सैयदना बुरहानुद्दीन साहब के उत्तराधिकारी, उनके बेटे सैय्यद मुफद्दल सैफुद्दीन ने शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची रोकने की हिदायत दी है। उनके निर्देश पर अंजुमन-ए-मोहम्मदी कमेटी ने समाज के लोगों से कहा है कि वे शादी के कार्ड न छपवाकर ई-मेल और एसएमएस के जरिए ही लोगों को आमंत्रित करें। कोई व्यक्ति कार्ड छपवाना भी चाहता है, तो वह सादा व सस्ती शीट पर ही छपवाकर भेजे। इस समझाइश को कई लोगों ने अमल में लाना शुरू भी कर दिया है।
आमिल अली का कहना है कि महंगे शादी कार्ड बांटने में फिजूलखर्ची होती है। घर-घर जाकर कार्ड बांटने से समय और ईंधन के खर्च को बचाया जाना समय की आवश्यकता है। लोग इस बात को अब समझने लगे हैं। दूसरी ओर, समाज के लोगों को लगातार समझाइश दी जा रही है कि वे रिसेप्शन में एक या दो तरह की ही मिठाई परोसें। यदि आइस्क्रीम शामिल की गई है, तो फिर एक ही मिठाई रखी जाए। इसके लिए सख्ती करने की बजाय समझाइश देने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
सेहत का भी ख्याल
आमिल साहब का कहना है कि शादी समारोह में जो लोग मिठाई के अधिक स्टाल लगाते है, वे अनजाने ही लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। भोज मे बहुत से ऐसे लोग भी पहुंचते हैं, जो डायबिटीज (शुगर) के रोगी होते हैं। मिठाई देखकर उनका मन उसे खाने के लिए ललचा जाता है, और वे उसे चखने के नाम पर खा लेते हैं, जो उनके लिए नुकसानदायक होती है।
बच्चे भी मिठाई और आइसक्रीम का अधिक सेवन कर लेते हैं, जो उनके दांतों को नुकसान पहुंचाती हैं। मिठाइयों में कई बार खराब मावा और केमिकलयुक्त रंगों का उपयोग होता है, जिनके सेवन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।