उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। सब जानते हैं कि पिछले दिनों मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीबीआई को केन्द्र सरकार का तोता बताने वाली टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट से खुला पंगा ले डाला था। लोग समझ नहीं पाए कि आखिर दिग्विजय सिंह ने ऐसा क्यों किया, परंतु यहां बताना मुनासिब होगा कि दिग्विजय सिंह राजनीति के वो शार्पशूटर हैं जो कभी बेजा फायर नहीं करते।
दरअसल मध्यप्रदेश में ट्रेजर आईलैंड (टीआई) जमीन घोटाले में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह सहित छह लोगों के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है। माना जा रहा है कि राजा साहब इस मामले में पूरी तरह से फंस गए हैं और वो बाहर निकलने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआर्इ् के खिलाफ टिप्पणी कर दी।
बस फिर क्या था, दिग्विजय सिंह को मौका मिल गया और उन्होंने ठोक डाला चौका। भले ही सुप्रीम कोर्ट से पंगा हो गया हो परंतु सर पर बन आई सीबीआई की गुडबुक में तो आ गए।
इसका नतीजा भी तुरंत देखने को मिला। ट्रेजर आईलैंड जमीन घोटाले में सीबीआई ने तय समय में जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं की। अब भले ही दस्तावेजों में इसे इत्तेफाक कहा जाए लेकिन लोग तो यही कहेंगे कि मैच फिक्स हो गया है।
इस मामले में उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने 18 अक्टूबर 2012 को सीबीआई मुख्यालय नई दिल्ली को छह लोगों की भूमिका को लेकर पांच बिंदुओं पर छह माह में जांच कर निचली अदालत में रिपोर्ट 6 मई 2013 को पेश करने के आदेश दिए थे।
सीबीआई ने एसपी व डीएसपी स्तर के अफसरों को जांच सौंपी थी। यह दल कई बार इंदौर आ चुका है और पिछले दिनों भोपाल में भी टीआई जमीन आवंटन संबंधी दस्तावेज जब्त कर चुका है। हालांकि तय अवधि बीतने के बावजूद जांच एजेंसी ने न तो रिपोर्ट पेश की और न ही अदालत को सूचना दी। अंतत: मंगलवार को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनोहर दलाल ने हाई कोर्ट में उसके अफसरों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की।