नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद सरकार के कानून मंत्री को इस्तीफा तो देना पड़ा, लेकिन कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने शीर्ष न्यायालय को सीमा में रहने की नसीहत दे दी। कोयला घोटाला मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं, कोर्ट के प्रति नहीं। कोर्ट अगर अश्विनी कुमार को दोषी मानता है तो आदेश दे, टिप्पणियों से जवाबदेही तय नहीं होती है।
दिग्विजय की टिप्पणियों से जहां कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया है। वहीं भाजपा ने उन्हें आड़े हाथों लिया है। पार्टी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कोर्ट पर अंगुली उठाने से पहले इस पर गौर करें कि संप्रग में एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले क्यों सामने आ रहे हैं।
अक्सर अपने बयानों के कारण विवादों में रहने वाले दिग्विजय ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं बख्शा। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआइ को पिंजड़े में बंद तोता बताना अपने ही संस्थानों को हीन बताने जैसा है। उन्होंने आगे कहा, अगर कोर्ट को लगता है कि कोलगेट रिपोर्ट की आत्मा बदल दी गई थी तो उन्हें आदेश देना चाहिए था। टिप्पणियों के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
दिग्विजय ने सरकार की भूमिका का समर्थन करते हुए कहा कि पीएम ने जो कुछ किया था, वह उस समय के मुताबिक था। जबकि अश्विनी कुमार खुद वकील हैं और उन्हें कानून की समझ है। पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल को यूं तो कांग्रेस नेतृत्व भी बख्शने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन दिग्विजय ने उनका भी बचाव किया।
उन्होंने कहा कि बंसल के रिश्तेदार को पकड़ा गया है। अगर उनकी कंपनी को लाभ हुआ तो फिर आयकर और राजस्व विभाग जांच करेंगे। अपने महासचिव के बयानों से कांग्रेस ने दूरी बना ली है। पार्टी प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि पार्टी का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
बहरहाल, कोलगेट मामले में इस्तीफे के बाद उत्साहित भाजपा ने दिग्विजय को घेरने में देर नहीं लगाई। रविशंकर ने कहा कि जिस तरह सीबीआइ का दुरुपयोग होता रहा है, उसमें कोई सही जांच नहीं हो सकती है। कोलगेट मामले में प्रधानमंत्री को बचाने के लिए रिपोर्ट से छेड़छाड़ की गई थी, यह तथ्य है। उन्होंने आगे जोड़ा कि सुप्रीम कोर्ट अपना कर्तव्य निभा रहा है। लिहाजा दिग्विजय को यह सोचना चाहिए कि उनकी सरकार में ही लगातार भ्रष्टाचार क्यों हो रहे हैं।