दमोह से शंकर सोनी। ग्राम हर्रई पंचायत में विकास तो हुआ है लेकिन ग्राम के लोगों का नहीं बल्कि सरपंच और सचिव का विकास हुआ है। ग्राम में बच्चों को खेलने के लिये लगभग 9 लाख 75 हजार रूपये की लागत से खेल मैदान बनाया गया जिसमें जमकर भ्रष्टाचार किया गया। मजेदार तो यह है कि जब सबूतों के साथ शिकायत की गई तो अधिकारियों ने सरपंच को बचाने के लिए शिकायत को ही गुम कर दिया।
मजदूरों को 100 रुपए प्रतिदिन भी नहीं
ग्राउंड में पत्थरों का उपयोग किया गया है जो नजदीक की पहाड़ी से बीन बीनकर लाया गया है कुछ पत्थर पहाड़ी से तोड़ा गया है इन सारी बातों का खुलासा किया इस खेल ग्राउंड में काम करने वाले मजदूरों ने, मजदूरों ने बताया कि सरपंच के द्वारा गांव के लोगों को कोई काम नहीं दिया जा रहा है पहले जो काम दिया गया उसमें 100 रूपये दिन के हिसाब से मजदूरी दी गई और किसी किसी मजदूरों को तो उससे भी कम मजदूरी दी गई है।
स्कूल के पत्थर बीनकर लगाए फर्जी बिल
लोगों ने बताया कि गांव का एक स्कूल तोड़ा गया था जिसमें भारी मात्रा में पत्थर निकला था उस पत्थर का उपयोग सरपंच ने खेल ग्राउंड में कर लिया सारा पत्थर खेल मैदान में लगाकर फर्जी बिल लगाकर राशि का आहरण कर लिया।
ग्राउंड के लिए खोदी मिट्टी और तालाब का बजट जेब में
गांव के लोगों से मिली जानकारी से सरपंच सचिव ने मिलकर जमकर भ्रष्टाचार किया है। खेल ग्राउंड में उपयोग की जाने वाली मिट्टी, मुरम खेल मैदान के नजदीक से निकाली गई जिसके फर्जी बिल लगाये गये। ग्रामीणों ने आरोप लगाये हैं कि ग्राम हर्रई में एक तलैया का निर्माण होना है सरपंच ने जिस जगह की मिट्टी निकाली है उसी जगह पर तलैया का निर्माण होना है सरपंच द्वारा पहले मिट्टी खुदाई की गई खेल मैदान के लिए और फिर तलैया की खुदाई में मजदूरों का नाम दर्शाकर राशि निकाल ली जावेगी।
महिलाओं के लिए कोई शौचालय नहीं
गांव में एक भी शौचालय ऐसा नहीं जिसका उपयोग गांव की महिलाओं द्वारा किया जा रहा हो सभी शौचालय अधूरे पड़े हैं और सरपंच सचिव ने राशि निकालकर हड़प ली। गांव के ही एक जागरूक युवक ने बताया कि एक साल पहले धारा 40 के अंतर्गत सरपंच के वित्तीय अधिकार छीन लिये गये थे लेकिन आज भी सरपंच द्वारा सरकारी राशि का आहरण किया जा रहा है। इस सरपंच की शिकायत जिला कलेक्टर, जनपद सीईओ, जिला पंचायत सीईओ और सागर कमिश्नर से की गई।
शिकायतकर्ता ने सीडी भी संलग्न की
इस शिकायत में शिकायतकर्ता ने ग्राम में हुए भ्रष्टाचार को कैमरे में कैद कर उसकी सीडी भी संलग्न की गई लेकिन आज तक किसी ने इस ग्राम पंचायत में चल रहे फर्जीबाड़ा को देखने और समझने की कोई कोशिश नहीं की। सरपंच और सचिव मिलकर के गरीबों के हितों पर डाका डाल रहे हैं लेकिन इन गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं है। ग्राम पंचायत में काम नहीं मिलने के कारण गांव के मजदूर मजबूरीवश काम की तलाश में दिल्ली की ओर निकल पड़े हैं।
कुटीरों में घूखोरी
ग्रामीणों से रूपये लेकर उन्हें कुटीरें दी गईं। गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि दो सालों से आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों को भोजन नहीं दिया जा रहा जिससे आंगनबाड़ी में बच्चों की उपस्थिति 10-12 बच्चों से अधिक नहीं रहती। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि भोजन व्यवस्था नहीं है लेकिन राशि बराबर निकाली जा रही है वो भी फर्जी हस्ताक्षर करके।
गोलमाल में कई अधिकारियों की पार्टनशिपिंग
कार्यकर्ता ने बताया कि मैंने कई बार अधिकारियों को लिखित में शिकायत की लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। आज भी वही हो रहा है जो यहां के सरपंच और सचिव चाहते हैं। जिले के सभी उच्चाधिकारियों को पंचायत की शिकायत आवेदन और सीडी देकर की गई लेकिन न तो इसकी चिंता यहां के जनप्रतिनिधि को है और न ही बड़े-बड़े पदों पर बैठे इन अधिकारियों को, कोई सुनने वाला नहीं है ऐसा लगता है जैसे सरकार के द्वारा चलाई जा रही ये योजनायें गरीबों के लिए न होकर इन सरपंच-सचिव और इन अधिकारियों के लिये हैं।