बड़वानी/प्रवीण सोनी। ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों रोजगार उपलब्ध कराने वाली किसी भी योजना का संचालन नहीं होने से मजदूरों को मजबूरन लकड़ी काट कर बेचना पड़ रही है। जिला प्रशासन ने 1 मई से ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा योजना का क्रियान्यन शुरू करने की घोषणा की थी लेकिन कई गांवों में काम शुरू नहीं हो पाए हैं। इन गांवों में बोम्या, बलखड़ आदि शामिल हैं।
बोम्या के गिलदार बामनिया, जिनकी पत्नी जनपद सदस्य हैं, ने बताया उनके गांव में मनरेगा सहित सभी योजनाएं बंद पड़ी हैं जिसके कारण मजदूरी करने वालों के सामने रोजगार की बड़ी समस्या है। वे मजबूरी में जंगल से लकड़ी काट कर बेच रहे हैं। इससे पर्यावरण का नुकसान हो रहा है।
पंचायत सचिव ने हड़ताल खत्म होने के बाद से गांव की सुध नहीं ली है। सचिव धमनई में रहता है और कभी कभार ही गांव में आता है। श्री बामनिया ने बताया कि जल्द ही मनरेगा का काम शुरू नहीं हुआ तो हालात बहुत खराब हो जाएंगे।
मजदूरों को जानकारी नहीं
मजदूरों से चर्चा करने पर यह बात सामने आई कि मजदूरों को इस महत्वपूर्ण प्रावधान की जानकारी नहीं है कि मनरेगा में काम के लिए आवेदन करना होता है। काम के लिए पंचायत में आवेदन करने पर सात दिनों में काम शुरू किया जाता है इसमें विलंब होने पर रोजगार भत्ता देने का प्रावधान है।