हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शुरू नहीं हो पाई फर्जी इन्वेस्टमेंट कंपनियों के खिलाफ जांच

भोपाल (मुनेन्द्र शर्मा)। मध्यप्रदेश में सक्रिय 33 बड़ी कंपनियों के खिलाफ हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे, बावजूद इसके अभी तक जांच की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है। आज हालात ये है कि मध्यप्रदेश के साथ ही ये कम्पनियां धीरे-धीरे उत्तरप्रदेश में भी अपना चार सौ बीसी का धंधा फैला रही है।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने अपने एक आदेश में उन 33 कंपनियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए है लेकिन राज्यों की सरकारों में अपनी जड़े गहरी जमा चुकी इन कंपनियों और इनके मालिकानो की सेहत पर फिलहाल कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है।

हालात ये है की मध्य प्रदेश में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की आर्थिक अपराध शाखा भी सरकार में अपनी जड़े जमाये बैठे इन कंपनियों के मालिकानो और कंपनियों की कार्यशैली की जांच नहीं कर पाई जिसकी वजह समझ से परे है। लगातार शिकायतें मिलने के बाद ग्वालियर हाईकोर्ट ने इन कंपनियों की जांच करने के लिए सीबीआई की दिल्ली मुख्यालय स्थित कार्यालय को लिखा है|

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की आर्थिक मामलों की जांच करने वाली शाखा नंबर 3 को स्थानांतरित कर दिया गया| आज हालत ये है कि ये शाखा भी कुछ ख़ास नहीं कर पाई । जांच ना होने की दिशा में कम्पनियां लगातार लोगो को चूना लगा रही है। साथ ही हर साल लाखों लोग इन कंपनियों द्वारा ठगे जा रहे है।

मध्यप्रदेश से लगायत उत्तर प्रदेश में ऐसी 33 कंपनिया काम कर रही है जिनकी जांच के आदेश हाईकोर्ट ने दिए है लेकिन सीबीआई के साथ-साथ, लोकल पुलिस, साथ ही पैसे के मामले और लेनदेन पर नज़र रखने वाली RBI, निवेशको के हित पर नज़र रखने वाली सेबी, आयकर विभाग, वित्त मंत्रालय, प्रवर्तन निदेशालय शायद सहारा और सरधा जैसी कंपनियों में किये गए बड़े घोटाले का इंतज़ार कर रही है।

इन कंपनियों के काम का तरीका काफी ऑर्गनाइज्ड है, ये कंपनिया भारत में फैली बेरोज़गारी का भी भरपूर फ़ायदा उठाती है। इन कंपनियों की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी वो एजेंट होता है जो निवेशक और कंपनी के बीच सेतु का काम करता है। कंपनिया अपने एजेंट्स को अच्छा कमीशन देती है जिसकी वजह से एजेंट्स इन कंपनियों के लिए दिन रात निवेशक तलाशने में जुटे रहते है।

अपने घर की चाहत सभी को होती है यही एक ऐसा सपना होता है जिसे ये कंपनिया बखूबी जानती है और उस सपने को पूरा करने के लिए अपने एजेंट्स और मैनेजर्स के माध्यम से ऐसे सपने निवेशको को बेचती है जिसको पूरा होने में संशय की स्थिति रहती है । अपने सपने को पूरा करने के लिए जो भी निवेशक इन कंपनियों की चिकनी चुपड़ी बातों में फंसता है तो अपने ज़िन्दगी की गाढ़ी कमाई भी गंवा देता है।

मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश तक अपना मकड़ जाल फैलाए ये कंपनिया किस तरह से काम करती है ये कल्पतरु कंपनी के काम को देखकर पता चलता है । कल्पतरु कंपनी के पास मार्च 2012 तक 3 लाख 97 हज़ार 532 निवेशक थे। कंपनी ने 15 लाख 51 हज़ार 97 हज़ार स्क्वायर यार्ड जमीन अधिगृहित की थी लेकिन कंपनी ने उन्ही निवेशकों को जमीन मुहैया कराई जिन्होंने या तो पूरे पैसे दे दिए थे या 50% पैसे जमा कर दिए थे।

कल्पतरु कम्पनी ने अधिगृहित की गई जमीन में से सिर्फ उन लोगो को जमीन का एलाटमेंट किया जिन्होंने कंपनी को जमीनों का पूरा भुगतान कर दिया था । इन पूरे पैसे जमा करने वालों को कंपनी ने आवंटन पत्र जारी किया जिसकी संख्या 14 हज़ार 700 थी जिसमें 14 हज़ार लोगो के पेमेंट आ चुके थे।

यहाँ एक बात समझने वाली है जब कल्पतरु जैसी कंपनी में करीब 4 लाख लोग इन्वेस्टर हो और एलाटमेंट मात्र 14 हज़ार लोगो का हो रहा हो तो बाकी 3 लाख 84 हज़ार लोगो द्वारा हर महीने इन्वेस्ट किये जा रहे पैसे का कंपनी कहा इस्तेमाल कर रही है, इस बात का कोई लेख जोखा नहीं ।
सरकार भी इस गड़बड़ झाले को जानते हुए चुप है| पिसे जा रहे है एजेंट और कंपनी के निचले स्तर के अधिकारी।

दिल्ली निवासी अताउल्लाह खान इन कंपनियों में चल रही धांधलियों को लेकर एक मुहीम चलाये हुए है। अताउल्लाह खान खुद कल्पतरु कंपनी में मेरठ ब्रांच में मैनेजर रहे है। आज हालत ये है कि कंपनी को करीब 37 करोड़ रुपये जमा करके देने वाले अताउल्लाह खान कंपनी से निकाले जाने के बाद भी दबाव झेल रहे है। इनके मार्फ़त निवेश करने वाले निवेशक आज इनसे अपने धन को कल्पतरु कंपनी से वापस करवाने का दबाव बना रहे है।

अताउल्लाह खान ने इस बाबत प्रदेश के तात्कालिक पुलिस महानिदेशक अम्बरीश चन्द्र शर्मा से लगायत अतरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अरुण कुमार से और तमाम रेंज के डीआईजी को भी पत्र लिख कर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

उत्तर प्रदेश की एकमात्र कंपनी कल्पतरु की ही तरह मध्य प्रदेश में ऐसी 33 कम्पनियां है जिन पर हाईकोर्ट ने तो चाबुक चलाया लेकिन उपरोक्त सभी विभाग और राज्य सरकार उनके जख्मों पर मलहम लगाकर उन्हें काम की पूरी छूट दे रही है। इन कंपनियों के लिस्ट पर नज़र डालते ही साफ़ हो जाता है कि ये कंपनिया अपने मूल धंधे से अलग हटकर सरकार की नाक के नीचे ही लोगो की गाढ़ी कमाई को कैसे हड़प रही है। कोई कंपनी डेवलपिंग के नाम पर तो कोई मार्केटिंग के नाम पर अपना धंधा चला रही है।

इन कंपनियों के खिलाफ दिए गए थे जांच के आदेश


1- मध्य प्रदेश लोक विकास फाइनेंस लिमिटेड
2 - समृद्धा जीवन फूड्स इंडिया लिमिटेड
3 - गरिमा रियल एस्टेट एंड एलायड
4 - सक्षम डेयरी इंडिया लिमिटेड
5 - ग्रीन फिंगर्स एग्रो लैंड मेंटेनेन्स प्राइवेट लिमिटेड
6 - रायल सन मार्केटिंग एंड इंश्योरेंस सर्विस
7 - स्काई लार्क लैंड डेवलपर्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड
8 - आधुनिक हाउसिंग डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड
9 - जीवन सुरभि डेयरी एंड एलायड
10-परिवार डेयरी एंड एलायड लिमिटेड
11- JSV डेवलपर्स इंडिया लिमिटेड
12- KMJ लैंड डेवलपर्स इंडिया लिमिटेड
13- सन इंडिया रीड एस्टेट
14- मधुर रियल एस्टेट एंड एलायड
15- BPN रियल एस्टेट एंड एलायड
16- KBCL प्राइवेट लिमिटेड
17- G N लैंड डेवलपर्स
18- किम फ़यूचर विजन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड
19- P A C L इंडिया लिमिटेड
20- M K D लैंड डेवलपर्स इंडिया लिमिटेड
21- कमल इंडिया रीड एस्टेट एंड एलायड लिमिटेड
22- सार्थक इंडिया लिमिटेड
23- R B N रियल एस्टेट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड
24- साईं प्रसाद फ़ूड इंडिया लिमिटेड, साई प्रसाद प्रापर्टीज
25- गालव लीजिंग एंड फाइनेंस लिमिटेड
26- G C A मार्केटिंग लिमिटेड
27- चन्द्रलोक फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड
28- स्टेट सिटिज़न सख सहकारी मार्या
29- मधुर टूरिस्म एंड मर्केंटाइल प्राइवेट लिमिटेड
30- मधुर डेयरी एंड एलायड लिमिटेड
31- रायल सन मार्केटिंग

कभी छोटे मोटे धंधे करके अपनी जीविका चलाने वाले इन कंपनियों के मालिक आज हज़ारों करोडो में खेल रहे है। ऐसी ही एक कंपनी है सक्षम डेयरी इंडिया लिमिटेड और जीवन सुरभि डेयरी एंड एलायड जिनका पहले दूध का व्यवसाय था आज इन कंपनियों ने चिटफंड के बिजनेस में मध्यप्रदेश और आस पास के राज्यों में अपना ऐसा मकड़जाल फैला रखा है जिसमें फंसकर आम आदमी धीरे धीरे अपने मेहनत की कमाई को लुटा रहा है। मध्य प्रदेश में कुकुरमुत्ते की तरह उगी इन कंपनियों ने जहा आम आदमी को धता बताया वही सरकार को भी अपनी पाकेट में रखा।

सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा इनकी जाँच कर रही है लेकिन कैसे कर रही है इसकी जांच कोई नहीं कर रहा । ग्वालियर की हाईकोर्ट बेंच जब भी फटकार लगाती है तब जांच के नाम पर कंपनियों के खाते सील कर दिए जाते है, कंपनिया कुछ दिनों के लिए काम बंद करती है फिर पुराने ढर्रे पर वापस आ जाती है। ऐसी ही एक कंपनी है उत्तर प्रदेश से स्थापित की गई कल्पतरु जो मथुरा शहर से संचालित होती है और इसका नाम है केबीसीएल इंडिया लिमिटेड, 'कल्पतरु'| वर्ष 2002 में रजिस्ट्रार आफ कंपनीज, उत्तर प्रदेश के कानपुर कार्यालय से एक पब्लिक लिमिटेड फार्म का सर्टिफिकेट और आईएसओ नंबर हासिल करे वाली कल्पतरु कंपनी अपने निवेशकों को उनका पैसा दोगुने से साढ़े तीन गुना करने के सपने दिखाती है| इसके अलावा कल्पतरु कंपनी ने देश के 14 राज्यों में सौ से अधिक कार्यालय भी खोल रखे है|

निवेशकों को कैसे फंसाती है कल्पतरु

केबीसीएल इंडिया लिमिटेड ने अपना गोरखधंधा कल्पतरु होम्स के नाम से मुख्य रूप से बड़े शहरों के आसपास के छोटे कस्बों में फैला रखा है| छोटे कस्बे के निवेशकों को बड़े सपने दिखाकर यह कंपनी अपना शिकार बना रही है| कंपनी द्वारा दी जाने वाली उसकी नियम पुस्तिका में दी गई कंपनी की वेबसाईट बंद पड़ी है, जबकि इस पुस्तिका में दिए गए देश भर के कार्यालयों के पते के साथ कोई फोन नंबर भी नहीं दिया गया है|

कंपनी के पास छोटे से लेकर बड़े ग्राहकों के लिए 3 वर्षीय जमा योजनाओं से लेकर 10 वर्षीय जमा योजनायें है| इन योजनाओं में कंपनी ग्राहक को बैंक से ज्यादा ब्याज देने का वादा करती है| सरकार की नज़रों से दूर छोटे कस्बे के लोगों का पैसा लेकर कंपनी कल्पतरु होम्स की रसीद देती है| कंपनी में पैसा लगाने वाले ज्यातर निवेशक छोटे कस्बों से होने की वजह से कंपनी के कानून और नियमों की जानकारी न होने की वजह से कंपनी का शिकार हो रहे है|

कई हज़ार करोड़ रुपये की पूंजी जमा करवा चुकी है कल्पतरु
देश भर के पन्द्रह प्रदेशों में अपना मकड़ जाल फैला चुकी कल्पतरु कंपनी के जरिये फर्जीवाड़ा करने वाले आज कई हज़ार करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक बन बैठे है|

कंपनी के अधिकारियों ने पर्दाफाश के सवालों पर साधी चुप्पी

टीम पर्दाफाश के रिपोर्टर ने एक निवेशक बनकर जब कंपनी के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने ने पैसा आरडी (RD - रिकरिंग डिपाजिट) और एफडी (FD- फिक्स डिपाजिट) के रूप में जमा करने किये जाने की बात कही| जिसके बाद जैसे ही टीम पर्दाफाश ने कंपनी के अधिकारियों से कंपनी को पब्लिक फंड्स जमा करने के लिए रिजर्व बैंक से मिलने वाली पात्रता और एनओसी के बारे में पूछा तो कंपनी के अधिकारियों ने जबाव देने के बजाय बात को घुमाना शुरू कर दिया|

किन सवालों के नहीं मिले जवाब

1 - क्या केबीसीएल इंडिया लिमिटेड ने आम जनता से धन उगाही के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से पात्रता और एनओसी हासिल की है ?
2 - कल्पतरु देश के किन किन शहरों में कारोबार कर रही है?


टीम पर्दाफाश के सूत्रों के मुताबिक केबीसीएल इंडिया लिमिटेड 'कल्पतरु' के सीएमडी का नाम, जय किशन राणा (जेके राणा) है| कल्पतरु कंपनी को शुरू करने के बाद लगभग 2000 करोड़ की संपत्ति के मालिक बने जेके राणा देखते देखते करोड़पति बन गया, राणा की तरक्की बेहद चौकाने वाली है। सरकार को निश्चित तौर पर ही कल्पतरु के मालिक राणा की कमाई के जरियों के विषय में जानकारी करनी चाहिए ?

बंगाल में सरधा ग्रुप के घोटाले के सामने आने के बाद वहा कंपनियों के निदेशको पर पड़ रहे दबाव आज उनकी जान ले रहे है जहा एक तरफ सरधा ग्रुप के ही एक निदेशक ने आत्महत्या कर ली वही बीते दिनों 42 वर्ष के चिटफंड एजेंट मृणाल कांति मंडल ने निवेशकों के तकाजे से परेशान होकर रविवार की रात जहर खा लिया था। उसकी अस्पताल में मौत हो गई। पुलिस ने घटना की जानकारी दी। मंडल उत्तरी 24 परगना जिले के संग्रामपुर गांव का रहने वाला था। पुलिस को हैलो चिटफंड के निदेशक इंद्रजीत राय का उनके आवास पर फंदे से लटका शव मिला है।

राय पिछले कुछ समय से अवसाद में था। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी चिट फंड कंपनियों का कुछ ऐसा ही जाल है जो कभी भी खतरनाक और बड़ा रूप ले सकता है। अताउल्लाह खान द्वारा प्रदेश के बड़े पुलिस अधिकारीयों को लिखे गए पत्र से साबित होता है कि ऐसे और भी मैनेजर और कंपनियों के निदेशक होंगे जो इन कंपनियों के चंगुल में फंस कर लोगो का पैसा लगवाते होंगे| सरकार को इन कंपनियों के ऊपर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए नहीं तो इन कंपनियों से जुड़े लाखो निवेशको के सपने और दिल टूटने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।

टीम पर्दाफाश अपनी मुहीम के अंतर्गत आम आदमी का पैसा लूटने के फ़िराक में लगी केबीसीएल इंडिया लिमिटेड, 'कल्पतरु' के खिलाफ लोकायुक्त और राज्य सरकार के अधिकारियों से शिकायत कर लाखों निवेशकों का पैसा बचने का प्रयास करेगी|

मुनेन्द्र शर्मा
9554963756

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