Life Line Hospital कांड: अर्चना के हत्यारों को बचाने की कोशिश

इंदौर। लाइफलाइन हॉस्पिटल में महिला का पेट चीरकर ऑपरेशन किए बिना सिल देने के बाद हुई मौत की जांच में की जा रही लेटलतीफी ने कई सवाल खड़े कर दिए। जांच के लिए बनाई कमेटी के स्वास्थ्य अधिकारियों ने दो माह से ज्यादा समय लेने के बाद भी अधूरी रिपोर्ट सौंपी है क्योंकि उन्होंने अपना अभिमत ही नहीं दिया है।

जिला प्रशासन ने एसडीएम रजनीश कसेरा के नेतृत्व में सीएमएचओ डॉ. अशोक डागरिया और डॉक्टरों की जांच समिति बनाई थी। उसे 15 दिन में रिपोर्ट देना थी लेकिन तकनीकी अभिमत के नाम पर दो महीने लेतलाली की गई। कुछ दिन पहले ही स्वास्थ्य अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट एसडीएम को सौंपी है लेकिन अपना अभिमत नहीं दिया है। जांच अभी भी प्रक्रिया में है।

यह था मामला

परदेशीपुरा निवासी अर्चना पिता ओमप्रकाश (32 साल) का लाइफलाइन अस्पताल में गठान का ऑपरेशन होना था। डॉ. सुष्मिता मुखर्जी ऑपरेशन करने वाली थीं। पेट चीरने के बाद उन्होंने यह कहते हुए ऑपरेशन से इनकार किया था कि यह जटिल केस है। इस बीच परिजनों को छह लाख का खर्च भी बता दिया। बाद में बिना ऑपरेशन किए पेट सिल दिया। एक दिन बाद अर्चना की मौत हो गई।

रिपोर्ट दे दी, लेकिन जांच प्रक्रिया में

॥हमने एसडीएम को रिपोर्ट सौंप दी है लेकिन मामला अभी प्रक्रिया में है। प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर जांच की गई है। मूल रिपोर्ट आना बाकी है। इसके अलावा एसडीएम और सीएमएचओ का अभिमत दिया जाना है। अभी जांच प्रक्रिया में है।
डॉ. अशोक डागरिया
सीएमएचओ

फैक्ट फाइल

: 22 फरवरी को महिला की मौत हो गई थी।
: एसडीएम के नेतृत्व में बनी जांच कमेटी को 15 दिन में रिपोर्ट देना थी।
: 22 मार्च को सीएमएचओ ने कहा- जांच रिपोर्ट सौंप दी, इस पर जिला प्रशासन ने नोटिस भी जारी किया। इस बात को बीते भी डेढ़ माह से ज्यादा समय हो गया।


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