आईए-यहां देखिए, इन बीहड़ों में महीनों छिपे रहते थे चंबल के खूंखार डाकू गिरोह

भोपाल| चंबल घाटी की पहचान डकैतों की शरणस्थली की रही है, मगर अब केंद्र सरकार की मदद से मध्यप्रदेश में इस घाटी को पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करने की कवायद चल रही है। चंबल घाटी का सौंदर्य जहां पर्यटकों को भाएगा, वहीं वे सदियों पुराने पुरामहत्व के अनेक मंदिर को नजदीक से देख सकेंगे।

चम्बल पर्यटन सर्किट के विकास के लिए केन्द्र द्वारा सात करोड़ 10 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। सर्किट में श्योपुर, मुरैना, भिण्ड जिले शामिल हैं, जहां पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने चम्बल सर्किट में जल क्रीड़ा जैसे बोटिंग, राफ्टिंग, केम्पिंग, बर्ड वाचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई है। साथ ही राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य में बने इन्टरप्रिटेशन केन्द्र से जानकारी आदि उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की है।


चम्बल घाटी के मुरैना-भिंड में पुरातत्व महत्व के अनेक स्थान मौजूद हैं। मुरैना के सिहोनिया में आठवीं शताब्दी के शिव मंदिर, महाभारत कालीन अवशेष, पहाड़गढ़ की गुफाएं, मुगल और सिंधिया काल की भव्य इमारतें मौजूद हैं।

पर्यटकों की सुविधा के लिए इन सभी जगहों पर पर्यटन की जानकारी और सुविधा केन्द्र विकसित किए जा रहे हैं। इसी प्रकार ककनमठ तथा शनिचरा मंदिर के पास पार्किं ग व्यवस्था, संकेत पटल तथा पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था भी की जा रही है।

आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार भिंड जिले में अटेर किले को और अधिक सुविधाजनक बनाया जा रहा है। इसी प्रकार श्योपुर जिले में सेसाईपुरा में पर्यटन की जानकारी एवं सुविधा केन्द्र, तथा बोटिंग की सुविधा, चम्बल नदी के तट पर व्यू-पाइंट आदि की व्यवस्था की जा रही है।


#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!