शिवराज सरकार का एतिहासिक निर्णय: श्रीमद् भगवद गीता पाठ्यक्रम में शामिल

भोपाल। शिवराज सरकार ने शुक्रवार को मिशन 2013 और भगवा एजेण्डे के तहत कक्षा नौ से कक्षा 12 वीं तक के पाठच्यक्रमों में श्रीमद् भगवद गीता को इसी शैक्षणिक सत्र से शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी।

स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस वर्ष  2011 में इसकी घोषणा की थी जिसे अब अमलीजामा पहना दिया गया है। गीता अब हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पढ़ाई जायेगी।

राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि मप्र प्राथमिक,मिडिल स्कूल तथा माध्यमिक शिक्षा (पाठच्यपुस्तकों सम्बन्धी व्यवस्था) अधिनियम, 1973 की धारा 4 की उपधारा (1) के तहत राज्य सरकार माध्यमिक शिक्षा मंडल के पूर्व परामर्श से कक्षा नौ से बारह तक प्रत्येक के लिये विहित विशिष्ट हिन्दी की एवं कक्षा ग्यारह तथा कक्षा बारह की विशिष्ट अंग्रेजी की पाठच्यपुस्तकों में शिक्षण सत्र 2013-14 में भगवत गीता में प्रगणित प्रसंगों पर आधारित एक-एक अध्याय जोड़ने की अनुज्ञा प्रदान करती है। यह आदेश आगामी आदेश होने तक प्रभावी होगा।

ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नवम्बर,2011 में इंदौर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समर्थित सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में घोषणा की थी कि गीता को स्कूली पाठच्यक्रमों में शामिल किया जायेगा। उस समय कांग्रेस प्रवक्ता माणक अग्रवाल ने इस घोषणा की यह कहकर आलोचना की थी कि भाजपा शिक्षा का भगवाकरण कर रही है तथा उसे स्कूलों में कुरान,बाईबिल एवं गुरुग्रन्थ साहिब भी पढ़ाना चाहिये न कि सिर्फ गीता। कुछ मुस्लिम एवं ईसाई संगठनों ने भी घोषणा पर कहा था कि देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरुप को देखते हुये यह कदम उठाना सही नहीं होगा।

अगस्त,2012 में कैथोलिक बिशप कौंसिल के फादर आनन्द मुटुंगल ने सीएम की इस घोषणा को क्रियान्वित होने से रोकने के लिये हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी जिसे हाईकोर्ट ने फरवरी,2012 में यह कहकर रिजेट कर दी थी कि गीता एक भारतीय दर्शन है न कि धर्म। इसके बाद अब शिवराज सरकार ने गीता को स्कूली पाठच्यक्रम में शामिल करने का विधिवत प्रावधान कर दिया है।

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