भोपाल। सुरेश सोनी समर्थक और शिवराज विरोधियों के लिए बुरी खबर है। मोदी ने तय किया है कि वो मध्यप्रदेश में चुनाव अभियान की तैयारियों में ज्यादा इंटरफियरेंस नहीं करेंगे। जब शिवराज बुलाएंगे वो आ जाएंगे और कार्यकर्ताओं को संबोधित करके चले जाएंगे। जनता के बीच शिवराज ही जाएंगे।
कुल मिलाकर प्रभात झा और उमा भारती की नियुक्ति के बाद शिवराज के हाथ से सरकता दिखाई दे रहा मध्यप्रदेश एक बार फिर शिवराज के हाथ में कंट्रोल्ड होता दिखाई देने लगा है। बहुत ही सिस्टमेटिक ढंग से शिवराज सिंह ने सभी ध्रुवों को केन्द्रित कर दिया है। शिवराज के पोखरन में घायल हुए प्रभात झा भी अब स्वस्थ्य दिखाई देने लगे हैं। सीएम हाउस में उनकी आवाजाही ठीक ठाक हो गई है। उन्हें नरेन्द्र तोमर के समकक्ष वजन भी मिलने लगा है।
उमा भारती को बहुत धीरे से मध्यप्रदेश से बेदखल करने में शिवराज एक बार फिर सफल रहे। उमा अपनी तरफ से कुछ भी जपतीं रहें परंतु शिवराज ने हाईकमान को मैसेज कर दिया है कि मध्यप्रदेश में उमा भारती किसी भी सूरत में नहीं चाहिए। सनद रहे कि मध्यप्रदेश के मतदाता यदि दिग्विजय सिंह से नफरत करते हैं तो उमा भारती के शासनकाल को भी रामराज्य नहीं मानते। एक अचीब किस्म की राजनैतिक गुंडगार्दी पनपी थी उन दिनों जब उमा भारती सीएम हुआ करतीं थीं और यही कारण है कि बहुत कम समय में बहुत सारे स्थाई राजनैतिक शत्रु उमा के अकाउंट में आज भी जमा हैं।
नरेन्द्र मोदी के इलेक्शन कमेटी चीफ बनने के बाद मध्यप्रदेश में एक बार फिर शिवराज विरोधी सक्रिय हो गए थे। वो मध्यप्रदेश की गलियों में शिवराज से बड़ा कटआउट मोदी का लगाना चाहते थे परंतु शिवराज के चतुर मैनेजर्स ने उनके मंसूबों पर भी पानी फेर दिया। सेटिंग हो गई है कि अब मोदी मध्यप्रदेश में ज्यादा नहीं आएंगे। शिवराज सिंह को विधानसभा और उसके बाद लोकसभा के लिए फ्रीहेंड दिया गया है। लोकसभा की तैयारियों के नाम पर भी कोई टोकाटोकी नहीं होगी। शिवराज जब बुलाएंगे, मोदी हाजिर हो जाएंगे। तय यह भी हो गया है कि मोदी बस भाजपाईयों को ही संबोधित करेंगे। आम जनता के बीच केवल और केवल शिवराज ही जाएंगे।