भोपाल। अब प्रारंभिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा संबंधी कार्यों के लिए अलग- अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सरकारी प्राइमरी से लेकर हायर सेकंडरी तक के स्कूलों के सारे काम एक साथ एक ही आफिस में करवाए जा सकेंगे।
इसके लिए हर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय (डीईओ) में एक की जगह दो सहायक संचालक स्तर के दो अधिकारी पदस्थ होंगे। इनमें से एक प्रारंभिक शिक्षा यानी कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों का काम देखेगा। इसी तरह दूसरा सहायक संचालक कक्षा 9 से 12वीं तक के स्कूलों पर नजर रखेगा।
इस नई व्यवस्था के लागू होते ही सारी शिक्षा व्यवस्था के लिए एक अधिकारी की जिम्मेदारी तय हो जाएगी। कक्षा एक से आठवीं तक के स्कूलों का काम देखने वाले जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) का पद समाप्त कर दिया जाएगा।
इस व्यवस्था से सारा काम डीईओ में ही होने लगेगा। संबंधित जिले के डीपीसी के पद को सहायक संचालक पद पर उन्नत कर डीईओ में ही बैठा दिया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित प्राइवेट व सरकारी स्कूलों पर ब्लॉक स्तर से नियंत्रण शुरू किया जाएगा।
इसके लिए ब्लॉक एजुकेशन आफिसर (बीईओ) के पद को उन्नत कर एरिया एजुकेशन आफिसर (एईओ) बनाया जाएगा। यह एईओ संबंधित ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई सहित सभी गतिविधियों पर नजर रखेंगे। हर एईओ के अधीन कुछ स्टाफ भी काम करेगा।
राज्य शिक्षा सेवा लागू हो जाने से पूरे प्रदेश में इसका संचालन एक साथ शुरू होगा। लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारियों ने राज्य शिक्षा सेवा की आधारभूत संरचना तैयार कर ली है। इसी के तहत बीईओ को अब पॉवरफुल अधिकारी बना दिया जाएगा, जिससे बीईओ का स्कूलों पर नियंत्रण बढ़ जाएगा और वह स्कूल संबंधी कार्यों को भलीभांति संचालित कर पाएंगे।