हड़ताल पर जाएंगे 654 डिप्टी कलेक्टर, नहीं मिला न्याय

भोपाल (राजकाज)। मध्‍यप्रदेश शासन के रीड की हड्डी कहे जाने वाले राज्‍य प्रशासनिक सेवा कैडर ने अपनी मांगों को बार-बार आश्‍वासन के बाद भी पूरा नहीं किये जाने से दु:खी होकर आखिर पांच अगस्‍त को एक दिनी सामूहिक अवकाश लेकर आंदोलन की घोषणा कर दी। राज्‍य प्रशासनिक सेवा संघ ने विगत दिवस हुई संघ की बैठक के बाद गुरूवार को एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर इस निर्णय की जानकारी दी।

संघ के अध्‍यक्ष जीपी माली, महासचिव बसन्‍त कुर्रे, उपाध्‍यक्ष कमलचन्‍द्र नागर, बुद्धेश वैद्य सहित काफी संख्‍या में एकत्र हुए राप्रसे के अधिकारियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि शासन द्वारा लम्‍बे समय से राज्‍य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्‍नति नहीं करने एवं राप्रसे कैडर के विभिन्‍न वेतनमानों में क्रमोन्‍नति में अनावश्‍यक विलंब करने एवं टालने के विरोध में मजबूरी में यह निर्णय लिया हैं। गौरतलब है कि मध्‍यप्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब इस सेवा के अधिकारियों ने एकजुट होकर आंदोलन जैसा निर्णय लिया हो। अब तक विरोध स्‍वरूप कभी-कभार काली पट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शन जैसा निर्णय ही लिया जाता रहा है। संघ के इस कदम को देखते हुए कहा जा रहा है कि यदि पांच अगस्‍त के पूर्व मांगों पर सकारात्‍मकता नही दिखाई दी तो फिर शासन आंदोलन के निर्णय को टाल नहीं सकेगा।

पदाधिकारियों ने बताया कि संघ द्वारा विगत 10 अप्रैल को मुख्‍यमंत्री के समझ बड़ी संख्‍या मे एकत्र होकर राप्रसे से भाप्रसे में पदोन्‍नति एवं विभिन्‍न वेतनमानों में शीघ्र क्रमोन्‍नति दिये जाने की गुजारिश की थी। मुख्‍यमंत्री ने तीन दिन में कार्यवाही का आश्‍वासन दिया था, और मुख्‍य सचिव को इस संबध में कार्यवाही के लिए निर्देश दिये थे। मुख्‍य सचिव आर. परशुराम ने भी इसी दिन संघ के पदाधिकारियों को बुलाकर उनसे चर्चा की थी। इसके बाद संघ की ओर से कई बार अनौपचारिकक  रूप से भी समस्‍याओं के निदान के लिए अनुरोध किया जाता रहा। लेकिन चार माह बीत जाने के बाद भी अभी तक समस्‍याओं का निदान नही हो सका। 25 जुलाई को भी मुख्‍य सचिव द्वार संघ के पदाधिकारियों को आश्‍वासन दिया गया था। लेकिन 28 जुलाई तक क्रमोन्‍नति आदेश जारी नहीं किये गये। इसलिए आंदोलन जैसा कदम उठाने की जरूरत पड़ी।

राप्रसे से भाप्रसे में पदोन्‍नति के संबंध में अध्‍यक्ष माली एवं महासचिव कुर्रे ने बताया कि तीन वर्ष से पदोन्‍नति नहीं हो पाई है। वर्ष 2009-10, 2010-11 एवं 2011-12 के 29 पद उपलब्‍ध है तथा वर्ष 2012-13 में 2 पद और उपलब्‍ध हो चुके है। राप्रसे से भाप्रसे में पदोन्‍नति नहीं होने से संवर्ग में स्‍थीरता आ गयी है। इन पदों में पदोन्‍नति के लिए किसी भी तरह की न्‍यायालयीन अथवा अन्‍य बाधा भी नहीं है। जीएडी द्वारा बार-बार केन्‍द्र सरकार को त्रुटिपूर्ण प्रस्‍ताव भेजे जा रहे है और केन्‍द्र सरकार द्वारा इसे वापस किया जा रहा हैं। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि राज्‍य शासन के गृह विभाग द्वारा भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्‍नति के लिए इसी वर्ष में 2 बार डीपीसी कर ली गई, परन्‍तु सामान्‍य प्रशासन विभाग द्वारा विगत चार वर्षों डीपीसी नहीं की जा रही। जबकि जीएडी का मूल दायित्‍व ही भाप्रसे एवं राप्रसे तथा मंत्रालय के अधिकारियों की सेवा शर्त एवं स्‍थापना संबंधी कार्य है।

माली एवं कुर्रे ने बताया कि इस वर्ष राज्‍य प्रशासनिक सेवा में संवर्ग के भीतर विभिन्‍न वेतनमानों में क्रमोन्‍नतियां नहीं हो पाई है। संवर्ग का उचित प्रबंधन नहीं होने से विभिन्‍न वेतनमानों के लिए अधिकारी 7-7 वर्षों से प्रतीक्षारत है। इससे न केवल आर्थिक हानि हो रही है, बल्कि अन्‍य संवर्गों से राप्रसे के अधिकारीगण वेतनमान एवं उच्‍च पद में जाने की प्रक्रिया से पिछड़ रहे हैं। 27 जून 2013 को डीपीस भी हो गयी है, लेकिन आदेश अभी तक जारी नहीं किये गये।

उन्‍होंने बताया कि राज्‍य प्रशासनिक सेवा संवर्ग में 5 वेतनमान स्‍वीकृत है, परन्‍तु विडम्‍बना है कि यह वेतनमान कभी भी निर्धरित समय पर नहीं मिल पा रहा है। इसे पद की उपलब्‍धता से जोड़ा गया है, जबकि इस समयमान वेतनमान देने का आधार ही नियत समय पर पदोन्‍नति हेतु पद उपलब्‍ध न होना है। माली एवं कुर्रे ने कहा कि इस संवर्ग के अधिकारियों को अन्‍य सेवाओं के उसी वर्ष की लोक सेवा आयोग की परीक्षा से चयनित अन्‍य विभाग के अधिका‍रियों से कम वेतन प्राप्‍त हो रहा है, जबकि राज्‍य प्रशासनिक सेवा में लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सर्वोच्‍च अंक प्राप्‍त करने के बाद प्रवेश मिलता है। उन्‍होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 1988 बैच के डिप्‍टी कलेक्‍टर को अपने ही बैच के डीएसपी से लग्‍भग 25 हजार रुपये कम वेतन प्राप्‍त हो रहा है। यही नहीं राज्‍य पुलिस सेवा के 1995 बैच के अधिकारियों को जो वेतनमान मिल गया है, वह अभी तक राप्रसे के अधिकारी अभी इंतजार कर रहे है। वैसे ही 2005 बैच के डीएसपी अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक बन रहे हैं, जबकि राप्रसे के 1996 बैच के अधिकारी अभी भी अपर कलेक्‍टर नहीं बन सके है।  इसी तरह एसडीए अपने से 15-15 बैच जूनियर के साथ काम कर रहे है।  तहसीलदार से डिप्‍टी कलेक्‍टर पद पर पदोन्‍नति की बैठक सहित अन्‍य समस्‍याओं का जिक्र भी संघ के प्रेसनोट में किया गया हैं। जिसमें कॉडर रिव्‍यू व अन्‍य बातें शामिल हैं।

दुष्‍प्रचार करने वाले पत्र की निंदा

मप्र प्रशासनिक सेवा संघ के अध्‍यक्ष जीपी माली ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मुख्‍य सचिव सहित अन्‍य अधिकारियों के संबंध में दुष्‍प्रचार करने वाले पत्र की संघ कठोर शब्‍दों में निंदा करता है। उन्‍होंने कहा कि इस तरह की भ्रामकता वाले पत्र किन्‍हीं शरारती तत्‍वों की कारस्‍तानी है। इसका राप्रसे के अधिकारियों से किसी प्रकार का संबंध नहीं है।

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