संसद की सर्वोच्चता से पहले उसकी पवित्रता जरूरी है !

राकेश दुबे@प्रतिदिन। देश के लगभग सारे राजनीतिक दल देश के सर्वोच्च न्यायालय और केन्द्रीय सूचना आयोग के खिलाफ लामबंद हो गये है| किसी बंधन में नहीं बंधना चाहते है और बहाना संसद की सर्वोच्चता कायम रखने की कोशिश| भलेमानुसों पहले उस सदन की पवित्रता पर विचार करो, आपने कैसी –कैसी महान आत्माओं को अपने संग बैठा रखा है| संविधान की पवित्रता की सौगंध खाकर कैसे- कैसे करतब दिखाए है| किसी से छिपा नहीं है|

कुछ आंकड़े है, जिनकी ओर, आप देखना नहीं चाहते| आज लोकसभा में 162 ऐसे सदस्य है जिन पर मुकदमें चल रहे हैं| आपराधिक मुकदमें| जनता कभी नहीं कहती की आप दागियों को टिकट दो, टिकट तो आपका राजनीतिक दल देता है | राज्यसभा के बारे में हरियाणा के कांग्रेस  सांसद अब बोले है भाजपा के लोगों ने तो पिछले चुनाव में ही बोल दिए था, झारखंड के टिकट पर|

देश के सर्वाधिक करोडपति संसद में पाए जाते है, 2004 में इनकी गिनती 156 थी| अब बढकर 315 हो गई है | कैसे सदन को सर्वोच्च बनाना कहते हैं, आप लोग| जिसमें समाज [जनता] को छोडकर असामाजिक लोगों का बोबबाला हो| जो न्याय से परे हो, सच स्वीकारने की जिसमें हिम्मत न हो| पूंजीवाद और बाजारवाद का षड्यंत्र है यह| पहले संसद को पवित्र बनाइए सर्वोच्च तो उसे जनता बना देगी|



  • लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।
  • संपर्क  9425022703


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